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    शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से क्यों रखते हैं बैर भाव, जानिए इसके पीछे का कारण

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार शनि देव न्याय के देवता और कर्मफलदाता आदि नामों से जाने जाते हैं। वहीं सूर्य देव को ग्रहों का राजा कहा जाता है और वह पंचदेवों में से भी एक हैं। इस दोनों के बीच पिता-पुत्र (Shani Dev and Surya Dev story) का संबंध होने के बाद भी शत्रुता का भाव है चलिए जानते हैं इसकी कथा।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Wed, 02 Apr 2025 02:46 PM (IST)
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    Shani Dev and Surya Dev mythological story

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शनि देव को लेकर कहा जाता है कि वह व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। धार्मिक पुराणों के अनुसार, शनि देव, सूर्य देव के पुत्र हैं। पिता-पुत्र का संबंध होने के बाद भी शनिदेव और सूर्यदेव में शत्रुता का भाव है, जिसके पीछे एक बड़ी ही रोचक कथा मिलती है। एक पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव अपने पिता सूर्यदेव से नाराज रहते हैं। चलिए जानते हैं उसे पौराणिक कथा के बारे में।

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    स्कंद पुराण में मिलती है कथा

    स्कंद पुराण में वर्णित कथा के अनुसार, सूर्यदेव का विवाह दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ था। सूर्यदेव और संज्ञा की तीन संतान मनु, यमराज और यमुना थे। सूर्यदेव का तेज बहुत अधिक होने के कारण संज्ञा उसे सहन नहीं कर पाती थी। इससे परेशान होकर वह एक बार अपने पिता के पास चली गई।

    लेकिन उनके पिता ने उन्हें यह कहकर लौटा दिया कि अब सूर्य लोक ही तुम्हारा घर है। सूर्यलोक वापिस लौटने के बाद संज्ञा ने अपनी छाया को उत्पन्न किया और स्वयं तप करने चली गईं। संज्ञा की छाया पर सूर्य के तेज का कोई प्रभाव नहीं पड़ता था। छाया ने कभी इस बात की भनक सूर्यदेव को नहीं लगने दी कि वह उनकी पत्नी संज्ञा नहीं है।

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    इसलिए खराब हुए संबंध

    कालांतर में छाया और सूर्य की तीन संताने उत्पन्न हुईं, जो तपती, भद्रा और शनि देव थी। जब शनिदेव का जन्म हुआ, तो सूर्यदेव को संदेह हुआ कि शनिदेव उनकी संतान नहीं है और उन्होंने छाया का बहुत अपमानित किया। अपनी माता का अपमान होते हुए देखकर शनि देव अपने पिता सूर्य देव से क्रोधित हो गए।

    हालांकि पूरी सच्चाई पता लगने के कारण सूर्य देव को अपनी गलती का अहसास हुआ और उन्होंने छाया से माफी मांगी। लेकिन इस घटना के बाद से शनिदेव और सूर्य के संबंध खराब हो गए।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।