Saturn Remedies: शनि राहु मिलकर बनाते हैं पिशाच योग, जानिए किस तरह की होती हैं परेशानियां
Saturn Remedies पिशाच योग से कर्क कन्या वृश्चिक कुंभ और मीन राशि वाले इससे अधिक प्रभावित होते हैं। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है उस भाव से संबंधित परेशानी होती है जैसे सातवें भाव में शादी टूटना। इसके लक्षणों में घर में दरारें दिखना और नौकरी छूटना शामिल हैं। इससे बचने के लिए शनि की पूजा हनुमान चालीसा का पाठ और पितृदोष की शांति के उपाय करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कुछ लोगों की कुंडली में ऐसे योग होते हैं, जिसकी वजह से उन्हें जीवन में मानसिक, आर्थिक और आध्यात्मिक समस्याएं होती हैं। इसमें एक ऐसा ही योग है, जिसे पिशाच योग के नाम से भी जाना जाता है।
यह योग तब बनता है, जब न्याय के देवता शनि की राहु के साथ किसी भाव में युति होती है। यानी सीधी भाषा में कहें, तो शनि और राहु कुंडली के किसी भी भाव में एक साथ बैठते हैं, तो यह योग बनता है। शनि को जहां अंधकार, परेशानी, दुख और तकलीफों का कारक माना जाता है।
वहीं, राहु भ्रम का कारक है। मानसिक उलझन देता है। राहु-केतु सेना की तरह काम करते हैं और शनि से मिलने वाली पीड़ा को कई गुना बढ़ा देते हैं। ये तकलीफें एकसाथ और अचानक से आती हैं। इस दोष से सबसे ज्यादा प्रभावित कर्क, कन्या, वृश्चिक, कुंभ और मीन राशि के लोग होते हैं।
जिस भाव में युति, वहां की आती है परेशानी
जब किसी की कुंडली में शापित दोष होता है, तो वह कई तरह की परेशानियों का सामना करता है। इससे उसकी जिंदगी बिना किसी लक्ष्य के अस्पष्ट तरह से बस चल रही होती है। कुंडली के जिस भाव में यह दोष बनता है, उससे संबंधित परेशानियां होने लगती हैं।
उदाहरण के लिए सातवें भाव में यह युति बनने पर शादी टूट सकती है। आठवें भाव पर यह युति हो, तो व्यक्ति को जादू-टोना या ऊपरी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। इसी तरह से 10वें भाव में यह युति करियर में भयानक संघर्ष दिखाती है। 11वें भाव में शापित योग होने से आय बहुत कम हो जाती है। इंसान अपनी परेशानियों से लड़ते-लड़ते टूट जाता है।
किस तरह के संकेत दिखते हैं
- घर की दीवारों पर जगह-जगह दरारें दिखना।
- घर की सफाई के बाद भी बदबू आते रहना।
- घर से जहरीले जीव और जंतुओं का निकलना।
- जमीन-जायदाद संबंधी विवाद का होना।
- नौकरी छूटना या बिजनेस का बंद होना।
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उपाय
- भगवान शनि की पूजा करें और सरसों के तेल या तिल के तेल का दीपक जलाएं।
- मंगलवार को हनुमान जी पर चमेली का तेल चढ़ाएं। हनुमान चालीसा का पाठ करें।
- दोनों कान छिदवाकर उसमें सोना पहनें। तेल में चेहरा देखकर छाया दान करें।
- सोमवती अमावस्या पर ब्राह्मण को भोजन कराएं, महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें।
- पितृदोष की शांति के लिए पूजा करें। अमावस्या के दिन तर्पण करें।
- शनि, राहु और केतु ग्रह की शांति के लिए पूजा-पाठ करानी चाहिए।
- चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों, अंधे और दिव्यांगों का अपमान नहीं करना चाहिए।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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