Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shani Amavasya पर पितरों का तर्पण करते समय करें इन मंत्रों का जप, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति

    Updated: Sun, 17 Aug 2025 09:00 PM (IST)

    शनिवार का दिन न्याय के देवता शनिदेव (Shani Amavasya 2025) को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर कर्मफल दाता शनिदेव की पूजा एवं भक्ति की जाती है। साथ ही जरूरतमंदों को दान किया जाता है। शनिदेव की पूजा करने से करियर और कारोबार की परेशानी दूर हो जाती है

    Hero Image
    Shani Amavasya 2025: शनि अमावस्या पर क्या करें और क्या न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शनिवार 23 अगस्त को भाद्रपद अमावस्या है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि अमावस्या कहलाएगी। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान करते हैं। वहीं, स्नान-ध्यान के बाद देवों के देव महादेव की पूजा करते हैं। पूजा के समय गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गरुड़ पुराण में भादप्रद अमावस्या पर पितरों का तर्पण और पिंडदान करने का भी विधान है। इसके लिए साधक अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान करते हैं। साथ ही जरूरतमंदों को अपनी आर्थिक स्थिति अनुसार दान करते हैं।

    अमावस्या तिथि पर तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। वहीं, व्यक्ति विशेष पर पितरों की कृपा बरसती है। अगर आप भी पितरों की कृपा पाना चाहते हैं, तो शनि अमावस्या के दिन तर्पण के समय इन मंत्रों का जप और स्तोत्र का पाठ करें।

    मंत्र (Mantra)

    1. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

    गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

    गोत्रे मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः"

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

    4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

    5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

    शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।

    6. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

    उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

    परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

    सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

    वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

    हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

    एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

    7. ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन ।

    तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।।

    वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने ।

    नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने ।

    आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

    त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः ।

    नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।।

    नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।।

    देवं मृत्युविनाशनं भयहरं साम्राज्य मुक्ति प्रदम् ।

    नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च ।

    नमो भक्तार्ति हन्त्रे च मम मृत्युं विनाशय ।।

    अज्ञानान्धकनाशनं शुभकरं विध्यासु सौख्य प्रदम् ।

    नाना भूतगणान्वितं दिवि पदैः देवैः सदा सेवितम् ।।

    सर्व सर्वपति महेश्वर हरं मृत्युंजय भावये ।।

    8. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

    विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

    9. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

    ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

    ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

    10. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।

    पितृ निवारण स्तोत्र

    अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

    नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

    इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।

    सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।

    मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।

    तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

    नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।

    द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

    देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

    अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

    प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।

    योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

    नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

    स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

    सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

    नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

    अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

    अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

    ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।

    जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।

    तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।

    नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

    पितृ कवच

    कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

    तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

    तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

    तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

    प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

    यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

    उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

    यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

    ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

    अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

    यह भी पढ़ें- Shani Amavasya 2025: कब है शनिश्चरी अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा का सही समय

    यह भी पढ़ें- Shani Amavasya 2025: शनि अमावस्या पर करें शनिदेव के इन मंत्रों का जप, जल्द बनेंगे बिगड़े काम

    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।