Shani Amavasya 2025: कब है शनिश्चरी अमावस्या? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा का सही समय
भाद्रपद महीने भगवान कृष्ण को समर्पित होता है। इस महीने में अष्टमी तिथि पर भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही अमावस्या और पूर्णिमा तिथि पर गंगा स्नान किया जाता है। शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya 2025 Yoga) पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का खास महत्व है। यह दिन देवों के देव महादेव की पूजा के लिए बेहद शुभ होता है। इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान -ध्यान करते हैं। इसके बाद गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। साथ ही भक्ति भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण एवं पिंडदान भी किया जाता है। पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। इसके लिए अमावस्या तिथि पर गंगा तट पर बड़ी संख्या में साधक पितरों का तर्पण करते हैं। आइए, शनि अमावस्या की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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शनिश्चरी अमावस्या शुभ मुहूर्त (Shani Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 22 अगस्त को होगी। वहीं, समापन 23 अगस्त को होगा। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। इसके लिए 23 अगस्त को भाद्रपद अमावस्या मनाई जाएगी।
शनिश्चरी अमावस्या तिथि 22 अगस्त को दिन में 11 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और समापन 23 अगस्त को दिन में 11 बजकर 35 मिनट पर होगा। साधक 23 अगस्त के दिन सुविधा अनुसार समय पर स्नान-ध्यान कर भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं।
शनिश्चरी अमावस्या शुभ योग (Shani Amavasya 2025 Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो शनिश्चरी अमावस्या पर मघा नक्षत्र का संयोग बन रहा है। इस योग में गंगा स्नान करने से महापुण्य फल मिलेगा। इस योग का संयोग देर रात 12 बजकर 54 मिनट तक है। ज्योतिष मघा नक्षत्र को स्नान-ध्यान, पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य के लिए बेहद शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा।
शनिश्चरी अमावस्या पर शिववास योग का भी संयोग है। शनिश्चरी अमावस्या के दिन देवों के देव महादेव कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ दिन में 11 बजकर 35 मिनट तक रहेंगे। इस समय में शिव-शक्ति जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही सभी बिगड़े काम बन जाएंगे।
शिव योग
शनिश्चरी अमावस्या पर शिव योग का भी संयोग बन रहा है। शनिश्चरी अमावस्या पर शिव योग देर रात 12 बजकर 54 मिनट तक है। इससे पहले परिघ योग का संयोग बन रहा है। परिघ योग का समापन दोपहर 01 बजकर 20 मिनट तक है। इस योग में भगवान शिव की पूजा की जाएगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 16 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 02 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 03 बजकर 46 मिनट से 04 बजकर 31 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से 02 बजकर 38 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 02 मिनट से 06 बजकर 24 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - देर रात 11 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 02 मिनट तक
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