Sawan 2025: सफेद कपड़े पहने कांवड़ियों के लिए मंदिर में अगल से क्यों बनाते हैं रास्ता, जानिए इसकी वजह
सावन के महीने में भक्त बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए मंदिरों में उमड़ते हैं। 11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन के दौरान भक्त कांवड़ लेकर पवित्र नदियों से जल लाकर भगवान शिव का अभिषेक करेंगे। डाक बम कांवड़िये (Dak Kanwariyas) बिना रुके सीधे मंदिर पहुंचकर जलाभिषेक करते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन (Sawan 2025) के महीने में बाबा भोले के दरबार में शिवलिंक का जलाभिषेक करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ने लगेगी। 11 जुलाई से शुरू हो रहे सावन के मौके पर भोलेनाथ के भक्त (Lord Shiva devotees) कांवड़ लेकर यात्रा करेंगे और पवित्र नदियों के जल से अपने आराध्य का अभिषेक करेंगे।
ऐसे में आम भक्तों के अलावा कांवड़ियों के लिए प्रमुख मंदिर में अलग से जलाभिषेक की व्यवस्था की जाती है। इसमें भी सफेद रंग के कपड़े पहने कावंड़ियों के लिए विशेष जगह बनाई जाती है। हर हर महादेव, बोल बम, ओम नमः शिवाय जैसे नारे लगाते हुए कांवड़िए मंदिर में प्रवेश करते हैं।
सफेद कपड़े पहनने वाली कांवड़ियां मंदिर में विशेष महत्व रखते हैं। क्योंकि यह रंग शांति, पवित्रता और स्वच्छता का प्रतीक माना जाता है। "डाक बम" कांवड़िये (Dak Kanwariyas) बिना रुके जल लेकर सीधे मंदिर पहुंचते हैं और भोलेनाथ का अभिषेक करते हैं।
इसलिए इनके लिए अक्सर अलग लेन की व्यवस्था होती है। वहीं, ज्यादातर लोग सामान्य कांवड़ उठाते हैं और वो भगवा वस्त्र पहनते हैं। ये लोग रास्ते में रुकते हुए कांवड़ यात्रा पूरी करते हैं।
डाक बम कांवड़िये कौन होते हैं
कांवड़ यात्रा का यह सबसे कठिन रूप होता है, जिसमें भोलेनाथ के भक्त नदी से जल लेने के बाद बिना रुके, बिना थके, बिना आराम किए सीधे शिवालय पहुंचते हैं। जल भरने के 24 घंटे के अंदर उन्हें जलाभिषेक करना होता है। नंगे पांव और दौड़ते हुए ये कांवड़िये जल लेकर भगवान का जलाभिषेक करने जाते हैं।
इन्हें न तो कोई रास्ते में रोकता है और न ही मंदिर के अंदर पहुंचने पर इन्हें रोका जाता है। क्योंकि अगर वो रास्ते में कहीं रुक गए, तो उनकी यात्रा खंडित मानी जाती है। अपने संकल्प को पूरा करने के लिए उन्हें दोबारा यात्रा शुरू करनी होती है।
इसलिए इन्हें कोई नहीं रोकता है। इनकी पहचान अलग से हो सके, इसके लिए डाक बम कांवड़ उठाने वाले भक्त सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं। डाक बम कांवड़िये पूर्वांचल, बिहार और झारखंड में ज्यादा देखने को मिलते हैं।
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सफेद रंग का धार्मिक महत्व
सफेद रंग को मन को स्थिर करने वाला, नकारात्मकता को दूर करने वाला और शांति का प्रतीक माना जाता है। माना जाता है कि सफेद कपड़े पहनने से मन और चरित्र की पवित्रता बनी रहती है। इसलिए सफेद रंग के कपड़े पहनकर डाक कांवड़िए निकलते हैं।
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