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    Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि कब है? यहां पता करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 01 Jun 2025 04:42 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि सावन शिवरात्रि (Sawan Shivratri 2025) पर भगवान शिव की पूजा करने से विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। वहीं अविवाहित जातकों की शादी शीघ्र हो जाती है। इस शुभ अवसर शिव-शक्ति के निमित्त व्रत रखा जाता है।

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    Sawan Shivratri 2025: सावन शिवरात्रि का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना देवों के देव महादेव को बेहद प्रिय है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त सावन सोमवारी का व्रत रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव का जलाभिषेक किया जाता है।

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    शिव पुराण में वर्णित है कि सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। साथ ही शिव जी की कृपा से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। कहते हैं कि भगवान शिव के भक्तों को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। लेकिन क्या आपको पता है कि सावन शिवरात्रि कब है? आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    सावन शिवरात्रि शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 04 बजकर 39 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 24 जुलाई को देर रात 02 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। इसके लिए 23 जुलाई को सावन शिवरात्रि मनाई जाएगी। इस दिन निशा काल में पूजा का समय देर रात 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है।

    हर्षण योग

    ज्योतिषियों की मानें तो सावन शिवरात्रि पर दुर्लभ हर्षण योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण दोपहर 12 बजकर 35 मिनट से हो रहा है। वहीं, इस योग का समापन 24 जुलाई को सुबह 09 बजकर 15 मिनट पर होगा।

    भद्रावास योग

    सावन शिवरात्रि पर भद्रावास योग का भी संयोग बन रहा है। भद्रावास योग दोपहर 03 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान भद्रा स्वर्ग में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग में रहने के दौरान भगवान शिव की पूजा करने से साधक को दोगुना फल मिलेगा।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 37 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 15 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 44 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट से 07 बजकर 38 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।