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    Sawan Shivratri 2025: इन आरती के बिना अधूरी है सावन शिवरात्रि की पूजा, जरूर करें इसका पाठ

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 08:42 AM (IST)

    सावन शिवरात्रि के दिन (Sawan Shivratri 2025) भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में खुशहाली आती है। ऐसे में शिवजी की आरती भाव के साथ करें। इससे शिव परिवार की कृपा प्राप्त होगी।

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    Sawan Shivratri 2025: सावन माह की शिवरात्रि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन माह की शिवरात्रि 23 जुलाई यानी आज मनाई जा रही है। यह दिन भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से सभी कष्टों का अंत होता है। साथ ही जीवन में खुशहाली आती है। ऐसे में इस विशेष दिन (Sawan Shivratri 2025) पर भोलेनाथ का ध्यान करें।

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    शिवलिंग पर दूध मिश्रित जल अर्पित करें। उन्हें सफेद चंदन, बिल्वपत्र, सफेद फूल और सफेद मिठाई अर्पित करें। अंत में शिव जी की भाव के साथ आरती करें, जो स प्रकार है।

    ॥शिवजी की आरती॥

    ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे।

    हंसासन गरूड़ासन, वृषवाहन साजे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    दो भुज चार चतुर्भुज, दसभुज अति सोहे ।

    त्रिगुण रूप निरखते, त्रिभुवन जन मोहे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै, भाले शशिधारी ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    श्वेताम्बर पीताम्बर, बाघम्बर अंगे।

    सनकादिक गरुणादिक, भूतादिक संगे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    कर के मध्य कमंडल, चक्र त्रिशूलधारी।

    सुखकारी दुखहारी, जगपालन कारी॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव, जानत अविवेका।

    प्रणवाक्षर में शोभित, ये तीनों एका ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    त्रिगुणस्वामी जी की आरति, जो कोइ नर गावे।

    कहत शिवानंद स्वाम, सुख संपति पावे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...

    ।।पार्वती जी की आरती।।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल की दाता॥

    जय पार्वती माता...

    अरिकुल पद्म विनाशिनि जय सेवक त्राता।

    जग जीवन जगदंबा, हरिहर गुण गाता॥

    जय पार्वती माता...

    सिंह को वाहन साजे, कुण्डल हैं साथा।

    देव वधू जस गावत, नृत्य करत ताथा॥

    जय पार्वती माता...

    सतयुग रूपशील अतिसुन्दर, नाम सती कहलाता।

    हेमांचल घर जन्मी, सखियन संग राता॥

    जय पार्वती माता...

    शुम्भ-निशुम्भ विदारे, हेमांचल स्थाता।

    सहस्त्र भुजा तनु धरि के, चक्र लियो हाथा॥

    जय पार्वती माता...

    सृष्टि रूप तुही है जननी शिवसंग रंगराता।

    नन्दी भृंगी बीन लही सारा जग मदमाता॥

    जय पार्वती माता...

    देवन अरज करत हम चित को लाता।

    गावत दे दे ताली, मन में रंगराता॥

    जय पार्वती माता...

    श्री प्रताप आरती मैया की, जो कोई गाता।

    सदासुखी नित रहता सुख सम्पत्ति पाता॥

    जय पार्वती माता...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।