Pradosh Vrat 2025: 06 या 07 अगस्त, कब है प्रदोष व्रत? यहां नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
देवों के देव महादेव (Budh Pradosh Vrat 2025) की महिमा बेहद निराली है। महादेव अपने भक्तों पर विशेष कृपा बरसाते हैं। उनकी कृपा से शिव भक्तों की सभी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही साधक का चित्त भक्ति में स्थिर होता है। इस शुभ अवसर पर दान भी किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 अगस्त को सावन पूर्णिमा है। इस शुभ अवसर पर राखी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। इससे पहले कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। इनमें सावन महीने का आखिरी प्रदोष व्रत भी शामिल है। इसके साथ ही सावन सोमवार और पुत्रदा एकादशी भी सावन के अंतिम सप्ताह में मनाए जाएंगे।
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सावन माह का आखिरी प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाएगी। साथ ही मनोवांछित फल पाने के लिए व्रत भी रखा जाएगा। आइए, प्रदोष व्रत की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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कब मनाया जाता है प्रदोष व्रत?
प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर शिव-शक्ति की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। बुधवार के दिन पड़ने के चलते यह बुध प्रदोष व्रत कहलाता है। इसी प्रकार दिन अनुसार प्रदोष व्रत का नाम दिया जाता है। बुध प्रदोष व्रत करने से मनचाही मुराद पूरी होती है।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 06 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 08 मिनट पर होगी। वहीं, 07 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 27 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर संध्याकाल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 06 अगस्त को सावन महीने का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
बुध प्रदोष व्रत शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक पर शिव-शक्ति की कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त हर परेशानी दूर हो जाती है। इसके साथ ही कई अन्य मंगलकारी योग भी सावन के आखिरी प्रदोष व्रत पर बन रहे हैं।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर
 - सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट पर
 - ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 20 मिनट से 05 बजकर 03 मिनट तक
 - विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 34 मिनट तक
 - गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 08 मिनट से 07 बजकर 30 मिनट तक
 - निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 06 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक
 
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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