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    Sawan 2025: समस्त विद्याओं के प्रदाता हैं देवाधिदेव महादेव

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 08:57 AM (IST)

    श्रावण मास (Sawan 2025) भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। शिवपुराण और स्कन्दपुराण में इसकी महिमा का वर्णन है। इस मास में भगवान शिव अपने भक्तों को करुणा दया दानशीलता जैसे गुण प्रदान करते हैं। श्रावण का दूसरा नाम शिवमास भी है। गंगाम्भः शिवपूजनम् जीवन का परम पुरुषार्थ है। महादेव सहज और सरल देव हैं। श्रावण में बिल्व पत्र अर्पित करना और जल चढ़ाना फलदायी होता है।

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    Sawan 2025: भगवान शिव की आराधना का महत्व और महिमा।

    प्रो. रामनारायण द्विवेदी (राष्ट्रीय महामंत्री, श्रीकाशी विद्वत्परिपद्)। श्रावण वण मास भगवान शिव का अत्यंत प्रिय मास है। शिवपुराण व स्कन्दपुराण में इसकी महिमा का वर्णन विस्तार से प्राप्त होता है। इस मास में भगवान शिव अपने भक्तों को करुणा, दया, दानशीलता, सौहार्द, कृतज्ञता, सत्य निष्ठा, कर्तव्यबोध जैसे महान गुणों को प्रदान करते हैं। इस मास में की गई उपासना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। श्रावण का दूसरा नाम शिवमास भी है।

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    'गंगाम्भः शिवपूजनम्' यही जीवन का परम पुरुषार्थ है अर्थात् गंगाजल का आचमन और शिव का पूजन। बाकी सभी देवताओं को देवसंज्ञा के रूप में पूजित किया गया है।

    सहज तथा सरल देव हैं, महादेव

    शिव को महादेव कहा गया है 'महादेव महादेव महादेवेति यो वदेत्, एकेन मुक्तिमाप्नोति द्वाभ्यां शम्भु ऋणी भवेत्'। वह अत्यंत ही महान, सहज तथा सरल देव हैं, महादेव हैं। महादेव महादेव कहने मात्र से भक्तों के ऋणी हो जाते हैं। शिवभक्त अपनी

    प्रार्थना है- 'तव तत्त्वं न जानामि किदृशोऽसि महेश्वरः, यदृशोऽसि महादेवः तादृशाय नमो नमः।' गृहस्थ धर्म में निवास करने वालों के लिए इस मास में शुचिता दिवस प्रतिदिन पंचोपचार पूजन या संप्रदाय अनुसार षोडशोपचार पूजन, जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक,

    अभिषेक का महत्व

    घृत अभिषेक, रस अभिषेक पृथक्करण-पृथक मनोभावों का अभिषेक करने का विधान है। सामान्य रूप से कहा गया है- 'जलधारा प्रियः शिवः'। भगवान शिव को जल अर्पण करने से आरोग्य, आयुष्य की प्राप्ति और सभी कष्टों का निवारण होता है। 'ज्ञानं तु शंकरादिच्छेत्, ईशानः सर्वविद्यानामीश्वरः सर्वभूतानाम्।'

    अर्थात भगवान शिव की आराधना-उपासना से सभी विद्याओं की प्राप्ति होती है। भगवान शिव को अत्यंत प्रिय मास श्रावण में बिल्व पत्र निर्भय करना और जल चढ़ाना अधिक फलदायी होता है।

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