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    Sawan 2025: कब से शुरू होगा सावन माह? अभी नोट करें सोमवार व्रत की डेट

    Updated: Sat, 01 Feb 2025 03:08 PM (IST)

    सनातन धर्म में सभी माह का विशेष महत्व है और सभी माह किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इसी प्रकार सावन (Sawan 2025) का महीना भगवान शिव को प्रिय है। इस माह में रोजाना महादेव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है। इससे जीवन खुशहाल होता है और सभी मुरादें पूरी होती हैं।

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    Sawan 2025: शिव जी को समर्पित है सावन का महीना

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Sawan 2025 Start Date: सनातन धर्म में सावन के महीने का विशेष महत्व है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही सोमवार और मंगला गौरी व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कामों को करने से विवाहित स्त्रियों को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही कुंवारी लड़कियों के विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और मनचाहा वर मिलता है। आइए जानते हैं कि कब से सावन का महीना शुरू हो रहा है और सावन सोमवारी व्रत की डेट के बारे में।

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    सावन 2025 (Sawan 2025)

    पंचांग के अनुसार, इस बार सावन के महीने की शुरुआत 11 जुलाई से होगी और वहीं, इस माह का समापन अगले महीने यानी 09 अगस्त को होगा। इस बार सावन में 4 सोमवार व्रत पड़ेंगे।

    सावन सोमवार व्रत 2025 डेट

    • 14 जुलाई को सावन का पहला सोमवार व्रत
    • 21 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार व्रत
    • 28 जुलाई को सावन का तीसरा सोमवार व्रत
    • 04 अगस्त को सावन का चौथा सोमवार व्रत

    यह भी पढ़ें: February Festival List 2025: वसंत पंचमी से महाशिवरात्रि तक, फरवरी में मनाए जाएंगे ये व्रत-त्योहार

    मंगला गौरी व्रत 2025 डेट

    • 15 जुलाई को सावन का पहला मंगला गौरी व्रत
    • 22 जुलाई को सावन का दूसरा मंगला गौरी व्रत
    • 29 जुलाई को सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत
    • 05 अगस्त सावन का तीसरा मंगला गौरी व्रत

    सावन में क्या करें

    • सावन माह में रोजाना शिव जी की पूजा करनी चाहिए।
    • विशेष चीजों का दान करना चाहिए।
    • पूजा के दौरान महादेव के मंत्रों का जप करना शुभ माना जाता है।
    • सावन में ब्रह्मचर्य के नियम का पालन करें।
    • इसके अलावा गरीबों को भोजन कराएं।
    • शिवलिंग का विशेष चीजों से अभिषेक करना चाहिए।

    सावन माह में करें इन मंत्रों का जप

    1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

    उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

    परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

    सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

    वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

    हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

    एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

    शिव नमस्कार मंत्र

    शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

    ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

    महामृत्युंजय मंत्र

    ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।