Kawad Yatra 2025: कंधे पर क्यों रखा जाता है कांवड़? जानिए इसका कारण और महत्व
सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है जिसमें कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। भक्त कांवड़ लेकर पैदल चलकर पवित्र नदियों से जल भरकर लाते हैं और शिव जी का जलाभिषेक करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कांवड़ (Kanwar) को कंधे पर रखने से सभी पापों का नाश होता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस पवित्र महीने में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व होता है। इस पवित्र यात्रा में लाखों शिवभक्त शामिल होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, साधक कांवड़ लेकर पैदल यात्रा करते हुए पवित्र नदियों जल भरकर लाते हैं। इसके बाद वे इस जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं।
कांवड़ यात्रा हर साल सावन (Sawan 2025) में देखने को मिलती है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि कांवड़ को कंधे पर ही क्यों रखा जाता है और इसका क्या महत्व है? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।
कांवड़ कंधे पर रखने का धार्मिक महत्व और वजह (Why Kanwar Is Carried On Shoulder?)
- भगवान राम से कनेक्शन - कुछ पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने अपने पिता दशरथ के मोक्ष के लिए पहली बार कांवड़ यात्रा की थी। उन्होंने श्रवण कुमार की तरह ही एक कांवड़ में गंगाजल और जल लेकर उसे अपने कंधे पर उठाया था, जिसका पालन करते हुए भक्त आज भी कंधे पर कांवड़ लेकर चलते हैं।
- श्रवण कुमार - श्रवण कुमार, जिन्होंने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर तीर्थयात्रा कराई थी, यह यात्रा उनकी भक्ति और सेवा का प्रतीक भी मानी जाती है। कांवड़ को कंधे पर उठाकर यात्रा करना श्रवण कुमार की तरह सेवा और समर्पण की भावना को भी दिखाता है।
- तपस्या - कांवड़ यात्रा (Significance Of Carrying Kawad) एक कठिन तपस्या है। भक्त मीलों पैदल चलकर, कई बार नंगे पैर, अपने कंधे पर कांवड़ का भार उठाते हैं। कंधे पर कांवड़ का भार उठाना यह दिखाता है कि भक्त भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा और भक्ति के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने को तैयार हैं। साथ ही यह भोलेनाथ को खुश करने का एक तरीका माना जाता है।
- अहंकार का त्याग - कंधे पर भार उठाना अहंकार के त्याग का भी प्रतीक है। जब एक भक्त कांवड़ लेकर चलता है, तो वह अपनी व्यक्तिगत पहचान और अहंकार को छोड़कर खुद को पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित कर देता है।
- पापों का नाश - ऐसी मान्यता है कि कांवड़ यात्रा के दौरान कंधे पर कांवड़ रखकर जल ले जाने से भक्तों के पापों का नाश होता है और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगाजल को बेहद पवित्र माना जाता है, और इसे शिव जी पर चढ़ाने से सभी पाप कट जाते हैं।
- समर्पण और विश्वास - कांवड़ को कंधे पर रखने का मतलब है भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण और अटूट विश्वास। यह दिखाता है कि भक्त भगवान पर कितना भरोसा करते हैं और उनके आशीर्वाद के लिए किसी भी तरह की कठिन परीक्षा दे सकते हैं।
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