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    Kawad Yatra 2025: आखिर क्यों कंधे पर रखा जाता है कांवड़? लंकापति रावण से जुड़ा है रहस्य

    Updated: Sat, 12 Jul 2025 03:00 PM (IST)

    सावन का महीना भगवान शिव की पूजा का महापर्व है। इस दौरान भक्त पवित्र नदियों से जल भरकर शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा (Kawad Yatra 2025) कहा जाता है जिसमें कांवड़ को कंधे पर रखना महत्वपूर्ण है। यह भगवान शिव के प्रति अटूट भक्ति का प्रतीक है। आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं।

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    Kawad Yatra 2025: कंधे पर कांवड़ रखने का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की आराधना और भक्ति का महापर्व है। इस दौरान (Sawan 2025) शिव भक्त दूर-दूर से पवित्र नदियों खासतौर पर गंगा, का जल भरकर लाते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। इस पवित्र यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है, और इसमें सबसे महत्वपूर्ण होता है कांवड़ को कंधे पर रखकर चलना। यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरी धार्मिक औक पौराणिक मान्यताएं हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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    कंधे पर कांवड़ रखने की वजह (Kyon Kandhe Par Rakha Jata Hai Kawad?)

    कांवड़ यात्रा भगवान शिव के प्रति अटूट समर्पण और भक्ति का प्रतीक है। कांवड़ को कंधे पर रखकर चलना, भक्तों के लिए एक तरह की तपस्या है। इस दौरान भक्त शारीरिक कष्ट सहते हैं, लेकिन उनके मन में भगवान शिव के प्रति आस्था जरा सी भी कम नहीं होती है। इससे ये भी पता चलता है कि साधक शिव जी के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए तैयार हैं।

    शिव-रावण से जुड़ा है रहस्य

    कांवड़ यात्रा की शुरुआत के पीछे कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से एक सबसे प्रचलित कथा लंकापति रावण से जुड़ी है। ऐसा माना जाता है कि रावण भगवान शिव का परम भक्त था। जब रावण ने कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास किया, तब भगवान शिव क्रोधित हो गए। रावण ने अपनी गलती स्वीकार करते हुए भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगाजल से उनका अभिषेक किया।

    कहा जाता है कि रावण ने ही पहली बार गंगाजल को एक विशेष विधि से कांवड़ में भरकर लाया था। वह जल लाने के लिए उसने कांवड़ का उपयोग किया और उसे अपने कंधे पर रखकर लाया। इसी परंपरा का पालन करते हुए आज भी शिव भक्त कांवड़ को कंधे पर रखकर चलते हैं।

    धार्मिक महत्व (Kawad Yatra 2025 Significance)

    ऐसा माना जाता है कि कांवड़ यात्रा करने से सभी पापों का नाश होता है। यह माना जाता है कि पवित्र गंगाजल को कंधे पर रखकर चलने से भक्तों के सारे पाप धुल जाते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही देवों के देव की कृपा मिलती है और जीवन में शुभता आती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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