Sawan 2025: महादेव की पूजा में भूल से भी न चढ़ाएं ये फूल, समेत 4 चीजें, दुखों का लग जाएगा अंबार
सावन (Sawan 2025) का महीना भगवान शिव को समर्पित है जिसमें उनकी पूजा-अर्चना फलदायी होती है। इस दौरान भक्त महादेव को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय करते हैं पर जाने-अनजाने कुछ ऐसी गलतियों हो जाती हैं जिससे पूजा अधूरी रह जाती है आइए उनके बारे में जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का महीना बहुत शुभ माना जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित है। इस दौरान की गई पूजा-अर्चना बहुत फलदायी होती है। भक्त इस पावन माह (Sawan 2025) में शिव भक्त महादेव को खुश करने के लिए तरह-तरह के उपाय करते हैं, लेकिन कई बार वो कई सारी ऐसी गलतियां कर देते हैं, जिससे पूजा का फल नहीं मिलता है, तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं कि भगवान शिव की पूजा में क्या नहीं शामिल करना चाहिए?
सावन में शिव जी को न चढ़ाएं ये 4 चीजें (Avoid Offering These 4 Things To Lord Shiva)
1. केतकी के फूल (Ketaki Flower)
भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल कभी नहीं चढ़ाया जाता है। कहते हैं कि जो साधक ऐसा करते हैं, उनकी पूजा निष्फल हो जाती है। साथ ही कई सारी मुश्किलें का सामना करना पड़ता है। इसलिए महादेव की पूजा में कभी भी केतकी का फूल शामिल न करें।
2. तुलसी पत्र (Tulsi Leaves)
भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय हैं, लेकिन शिव जी की पूजा में गलती से भी उपयोग नहीं की जाती हैं। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। दरअसल, तुलसी जी यानी वृंदा के सतीत्व के कारण उनके पति राक्षस जालंधर को कोई हरा नहीं सकता था, जिस वजह से भगवान विष्णु ने छल से वृंदा के सतीत्व को भंग किया और भगवान शिव ने जालंधर का वध किया।
तब वृंदा ने भगवान शिव को श्राप दिया था कि उन्हें तुलसी कभी स्वीकार्य नहीं होगी। इसलिए, शिव पूजा में तुलसी का प्रयोग पूरी तरह से वर्जित माना गया है।
3. शंख से जल (Conch Shell Water)
भगवान शिव पर शंख से जल नहीं अर्पित करना चाहिए। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शंखचूड़ नामक एक राक्षस भगवान विष्णु का परम भक्त था और भगवान शिव ने उसका वध किया था। इसलिए, शंख को उस राक्षस का प्रतीक मानकर भगवान शिव की पूजा में प्रयोग नहीं किया जाता। शिवलिंग पर हमेशा लोटे या कलश से ही जल अर्पित करना चाहिए।
4. टूटे हुए अक्षत (Broken Rice Grains)
भगवान शिव की पूजा में अक्षत यानी साबुत चावल का विशेष महत्व है। लेकिन, टूटे हुए चावल या खंडित अक्षत कभी भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए। अक्षत पूर्णता का प्रतीक होते हैं और खंडित वस्तुएं अपवित्र मानी जाती हैं। इसलिए भगवान शिव की पूजा में गलती से भी टूटे हुए चावल शामिल न करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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