Sawan 2024: सावन महीने में कब है शनि त्रयोदशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग
धार्मिक मत है कि शनि त्रयोदशी (Shani Trayodashi 2024) का व्रत करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख और संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही नौकरी में मन मुताबिक सफलता मिलती है। ज्योतिषियों की मानें तो शनि प्रदोष पर एक साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। सावन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी गुरुवार और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी शनिवार (Shani Pradosh Vrat 2024) को पड़ रही है। गुरुवार के दिन पड़ने के चलते गुरु प्रदोष व्रत और शनिवार के दिन पड़ने की वजह से शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस व्रत का पुण्य फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। शनि प्रदोष व्रत करने से नवविवाहित दंपती को संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही करियर और कारोबार में मन मुताबिक सफलता मिलती है। आइए, शनि प्रदोष व्रत के बारे में सबकुछ जानते हैं-
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शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अगस्त को सुबह 08 बजकर 05 मिनट से शुरू होगी और अगले यानी 18 अगस्त को सुबह 05 बजकर 51 मिनट पर समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। अतः 17 अगस्त को शनि प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। इस दिन प्रदोष काल यानी पूजा का समय संध्याकाल 06 बजकर 58 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 11 मिनट तक है। इस दौरान साधक भगवान शिव की पूजा-उपासना कर सकते हैं।
शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो शनि त्रयोदशी पर सबसे पहले प्रीति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 10 बजकर 48 मिनट तक है। इसके बाद आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है। आयुष्मान योग का संयोग पूर्ण रात्रि तक है। इस दिन शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। शिववास योग पूर्ण रात्रि तक है। इस दौरान भगवान शिव सबसे पहले जगत की देवी मां पार्वती के साथ कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे।
दैनिक पंचांग
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 04 मिनट पर
सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट पर
चन्द्रोदय- शाम 05 बजकर 18 मिनट पर
चंद्रास्त- प्रात: काल 04 बजकर 10 मिनट पर (18 अगस्त)
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 35 मिनट से 05 बजकर 20 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 40 मिनट से 03 बजकर 31 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट से 07 बजकर 20 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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