Surya Grahan 2025 Upay: सर्व पितृ अमावस्या और सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग, रात के समय करें ये उपाय, सभी कष्ट होंगे दूर
सर्व पितृ अमावस्या पर यानी आज सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है जो ज्योतिषीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इस दिन पितरों को विदा किया जाता है और ग्रहण काल में विशेष उपाय (Surya Grahan 2025) करने से कष्ट दूर होते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि भारत में ग्रहण न दिखने से सूतक मान्य नहीं है तो आइए इस दिन से जुड़े कुछ असरदार उपाय जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। आज यानी सर्व पितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2025) का दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दिन सूर्य ग्रहण का दुर्लभ संयोग बन रहा है। यह दिन ज्योतिष और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस दिन पितरों को विदा किया जाता है, और साथ ही ग्रहण काल के कारण कुछ विशेष उपाय करने से जीवन के सभी कष्टों को दूर किया जा सकता है।
हालांकि सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा, तो आइए इस दिन से जुड़े दुर्लभ उपाय के बारे में जानते हैं, ताकी आपके जीवन के सभी कष्टों का अंत हो सके।
रात के समय करें ये असरदार उपाय (Sarva Pitru Amavasya And Solar Eclipse 2025 Night Rituals)
- तिल और काले कपड़े का दान - इस दिन गंगाजल डालकर स्नान करें और किसी जरूरतमंद या गरीब व्यक्ति को काले तिल और काले कपड़े का दान करें। इस उपाय से शनि और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
- पीपल के पेड़ के नीचे दीपक - रात के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। पीपल के पेड़ को पितरों का वास स्थान माना जाता है, और इस उपाय से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
- भगवान शिव की पूजा - इस तिथि में रात में भगवान शिव की विधिवत पूजा करें और 'महामृत्युंजय मंत्र' का जाप करें। यह मंत्र सभी कष्टों और रोगों से मुक्ति दिलाता है।
- हनुमान जी की उपासना - हनुमान जी की पूजा करने से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव से बचाव मिलता है। ऐसे में इस खास दिन 'हनुमान चालीसा' या 'बजरंग बाण' का पाठ करें।
- गरीबों को भोजन - इस तिथि पर रात के समय गरीबों को भोजन कराएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दान-पुण्य करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव कुंडली से समाप्त हो जाते हैं।
- पितरों का तर्पण - इस मौके पर अगर आपने दिन में श्राद्ध नहीं किया है, तो सूर्यास्त के बाद भी आप पितरों के निमित्त तर्पण कर सकते हैं। जल में काले तिल मिलाकर पितरों को अर्पित करें। ऐसा करने से पितृ खुश होते हैं।
पितृ पूजन मंत्र
1. ॐ श्री सर्व पितृ देवताभ्यो नमो नमः।।
देवताभ्यः पितृभ्यश्च महा योगिभ्य एव च ।
2. नमः स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नमः ।।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
4. गोत्रे अस्मत्पिता (पितरों का नाम लें) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम, तस्मै स्वधा नमः।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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