Sarva Pitru Amavasya पर जरूर करें तुलसी से जुड़े ये उपाय, भगवान विष्णु के साथ मिलेगी पितरों की कृपा
पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है और इसकी समाप्ति में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। माना जाता है कि पितृ पक्ष के आखिरी दिन यानी सर्वपितृ अमावस्या पर पितृ पितृलोक को लौट जाते हैं। इस तिथि को पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए बहुत ही खास माना गया है। चलिए जानते हैं सर्वपितृ अमावस्या पर तुलसी से जुड़े कुछ उपाय।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की समाप्ति आश्विन माह की अमावस्या पर होती है, जो इस बार 21 सितंबर को मनाई जाएगी। इस तिथि को सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2025) के रूप में भी जाना जाता है। 15 दिनों की इस अवधि में जातक अपने पूर्वजों को भोजन और अर्पण कर श्रधांजलि अर्पित करते हैं। ऐसे में आप सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों की कृपा प्राप्ति के लिए तुलसी से जुड़े कुछ खास उपाय कर सकते हैं।
कर सकते हैं ये उपाय
सर्वपितृ अमावस्या के दिन पीले रंग का धागा या लाल कलावा लेकर उसमें 108 गांठ लगाएं। इसके बाद इस धागे को तुलसी के गमले में बांध दें और देवी के सुख-समृद्धि की कामना करें। इस उपाय को करने से आपको आर्थिक संकटों से मुक्ति मिल सकती है।
जरूर करें ये काम
सर्वपितृ अमावस्या की शाम को तुलसी के पास एक घी का दीपक जलाएं और 7 या फिर 11 बार परिक्रमा करें। इससे साधक पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। साथ ही इस दिन पर आपको पितरों के तर्पण के दौरान तुलसी चालीसा का पाठ करने से भी लाभ मिल सकता है।
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ध्यान रखें ये बातें
पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन तुलसी से जुड़े कुछ नियमों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। इस दिन तुलसी की पूजा नहीं करना चाहिए और न ही तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए। ऐसा करने पर मां लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं।
तुलसी के मंत्र -
1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
2. तुलसी गायत्री मंत्र -
ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
3. तुलसी स्तुति मंत्र -
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
4. तुलसी नामाष्टक मंत्र -
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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