Saraswati Avahan 2025: नवरात्र में कब किया जाएगा सरस्वती आह्वान, पढ़ें कथा और पूजा विधि
मां सरस्वती केवल शिक्षा की देवी ही नहीं बल्कि संगीत साहित्य और रचनात्मकता की प्रेरणा भी हैं। यही कारण है कि विद्यार्थी कलाकार लेखक गायक और विद्या से जुड़े लोग इस दिन विशेष रूप से मां की आराधना करते हैं। भक्त सरस्वती आह्वान के दिन मां सरस्वती से प्रार्थना करते हैं कि वे ज्ञान बुद्धि विवेक कला और वाणी की शुद्धता प्रदान करें।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। शारदीय नवरात्र का हर दिन अपने आप में विशेष महत्व रखता है। इन नौ दिनों में जहां देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है, वहीं सप्तमी तिथि से मां सरस्वती की पूजा आरंभ होती है। इस दिन को सरस्वती आह्वान कहा जाता है। "आह्वान" का अर्थ है देवी को अपने जीवन और घर में आमंत्रित करना। इस वर्ष सरस्वती आह्वान 29 सितंबर, सोमवार को आश्विन शुक्ल पक्ष की महा सप्तमी के दिन मनाया जाएगा।
सरस्वती आह्वान की कथा
मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कार्यों में सहायक बनकर देवी सरस्वती ने संसार को ज्ञान और वाणी का उपहार दिया। इसी कारण उन्हें विद्यादायिनी, शारदा, वाग्देवी और नील सरस्वती के नामों से पूजित किया जाता है।
नवरात्र के दौरान जब भक्त सरस्वती आह्वान करते हैं, तो वे मां से अज्ञान के अंधकार को दूर करने और विवेक, कला तथा शिक्षा का आशीर्वाद पाने की प्रार्थना करते हैं। यह अवसर केवल विद्या प्राप्ति का ही नहीं, बल्कि आत्मा को उजाले की ओर ले जाने वाला पवित्र अनुष्ठान है। मां सरस्वती की कृपा से भक्त के जीवन में ज्ञान, संगीत और रचनात्मकता का दिव्य प्रकाश फैलता है।
(Picture Credit: Freepik)
कैसे करें सरस्वती आह्वान?
- ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर व्रत और पूजा का संकल्प लें।
- शुभ मुहूर्त में मां सरस्वती का आह्वान करें।
- देवी के चरण धोकर शुद्ध जल अर्पित करने की परंपरा है।
- सफेद वस्त्र और सफेद मिठाई विशेष रूप से प्रिय मानी जाती है।
- प्रसाद अर्पण के बाद दीपक से आरती करें और मां के मंत्रों, भजनों का गान करें।
- अंत में पवित्र प्रसाद सभी भक्तों में बांटा जाता है।
धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
- ज्ञान और विद्या की प्राप्ति इस दिन मां से प्रार्थना की जाती है कि वे जीवन में विवेक, शिक्षा और वाणी की शुद्धता दें।
- विद्यार्थियों और कलाकारों के लिए विशेष दिन इस दिन मां सरस्वती की आराधना से ज्ञान, कौशल और रचनात्मकता में वृद्धि होती है।
- आध्यात्मिक दृष्टि से यह पूजा केवल शिक्षा तक सीमित नहीं, बल्कि अज्ञान और अंधकार से मुक्ति का प्रतीक है।
- नवरात्र का विशेष अनुष्ठान शक्ति की आराधना के साथ ही ज्ञान साधना का आरंभ मां सरस्वती के आह्वान से होता है।
यह भी पढ़ें - Shardiya Navratri 2025: नवरात्र में क्या है कन्या पूजन का महत्व, यहां पढ़ें संपूर्ण विधि
यह भी पढ़ें - Shardiya Navratri में शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, जीवन में मिलेंगे सभी सुख, बरसेगी महादेव की कृपा
लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।