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    Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी पर करें इस कथा का पाठ, पढ़ें अर्घ्य देने का समय

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 10:27 AM (IST)

    संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi 2025) का सनातन धर्म में बहुत महत्व है जो भगवान गणेश को समर्पित है। इस दिन भक्त भगवान गणेश की कृपा पाने और बाधाओं को दूर करने के लिए व्रत रखते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार यह व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस साल यह व्रत 14 जून यानी आज रखा जा रहा है।

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    Sankashti Chaturthi 2025 Katha: संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का बहुत ज्यादा महत्व है। यह व्रत भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन भगवान गणेश की कृपा पाने, बाधाओं को दूर करने और मनोकामनाएं पूर्ण करने के लिए बहुत शुभ माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (Sankashti Chaturthi 2025) को यह व्रत रखा जाता है। इस साल यह आज यानी 14 जून को रखा जा रहा है।

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    वहीं, जो लोग इस व्रत को रखते हैं उन्हें संकष्टी चतुर्थी कथा का पाठ और चंद्रमा को अर्घ्य जरूर देना चाहिए। इससे व्रत का पूरा मिलता है।

    • चंद्रोदय समय - रात 10 बजकर 07 मिनट पर चंद्रोदय होगा। इस समय आप अर्घ्य दे सकते हैं।

    संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा (Sankashti Chaturthi 2025 Katha)

    हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार एक नदी के किनारे देवी पार्वती भगवान शिव जी एक साथ बैठे थे। तभी उनके मन में चौपड़ खेलने का विचार आया, लेकिन उनके अलावा कोई तीसरा नहीं था, जो चौपड़ के खेल के दौरान हार और जीत का निर्णय कर सके। इस स्थिति में शिव जी ने और देवी पार्वती ने एक मिट्टी का बालक बनाया और उसमें प्राण का संचालन किया, जिससे खेल में हार-जीत का सही फैसला हो सके। इसके बाद पार्वती माता लगातार तीन से चार बार विजयी हुईं, लेकिन उस मिट्टी के बालक ने शिव जी को विजयी घोषित कर दिया।

    इससे देवी पार्वती को क्रोध आ गया और उन्होंने उस बालक को लंगड़ा बना दिया। तब बालक को अपनी गलती का अहसास हुआ और उसने माफी मांगी, लेकिन मां पार्वती ने कहा कि श्राप अब वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए आप एक उपाय के जरिए इस श्राप से मुक्ति पा सकते हैं।

    उन्होंने कहा कि चतुर्थी के दिन कुछ कन्याएं पूजन के लिए आती हैं, उनसे व्रत और पूजा की विधि पूछना। बालक ने ठीक ऐसा ही किया और उसकी पूजा से शिव पुत्र गणेश खुश हो जाते हैं और उसकी जीवन के सभी दुखों का अंत कर देते हैं। इससे बालक अपना जीवन फिर से खुश होकर व्यतीत करने लगता है।

    यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2025: संकष्टी चतुर्थी पर इस विधि से करें भगवान गणेश की पूजा, जानें महत्व और मंत्र

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।