Salasar Balaji Temple: इस स्थान पर विराजमान हैं दाढ़ी और मूंछ वाले हनुमान जी, जानें इससे जुड़े रोचक तथ्य
राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर हनुमान जी का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यहां हनुमान जी दाढ़ी और मूंछों के साथ विराजमान हैं जो उन्हें अन्य मंदिरों से अलग बनाता है। कहते हैं कि इस धाम में एक बार दर्शन करने से भक्तों के सभी कष्टों का अंत हो जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। राजस्थान के चुरू जिले में (जयपुर-बीकानेर राजमार्ग) स्थित सालासर बालाजी मंदिर हनुमान जी के प्रसिद्धि मंदिरों में से एक है। यह वीर बजरंगी के भक्तों के लिए बहुत महत्व रखता है। इस मंदिर में विराजमान विशेष प्रतिमा दुनियाभर में प्रसिद्ध है। दरअसल, इस धाम में हनुमान जी महाराज दाढ़ी और मूंछों के साथ विराजमान हैं।
जो उन्हें अन्य हनुमान मंदिरों से बिल्कुल अलग बनाता है। वहीं, यह देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पवनपुत्र हनुमान का ऐसा विशिष्ट स्वरूप देखने को मिलता है।
ऐसे प्रकट हुई प्रतिमा
हालांकि यहां स्थित प्रतिमा को लेकर कई रोचक कहानियां प्रसिद्ध हैं। ऐसा माना जाता है कि आज से लगभग 250 साल पहले राजस्थान के नागौर जिले के असोता गांव में एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था, तभी उसका हल एक पत्थर से टकरा गया।
जब उसने पत्थर हटाया तो वहां भगवान हनुमान की एक प्रतिमा मिली। यह खबर पूरे गांव में तेजी से फैल गई और असोता के ठाकुर तक भी पहुंची।
सपने में आए वीर हनुमान
उसी रात सालासर के परम हनुमान भक्त संत मोहनदास महाराज को सपने में भगवान हनुमान ने दर्शन दिए। हनुमान जी ने उन्हें बताया कि ''असोता में उनकी एक प्रतिमा मिली है और वह चाहते हैं कि उसे सालासर लाया जाए।''
संत मोहनदास ने हनुमान जी को दाढ़ी और मूंछों के साथ एक संत के रूप में देखा था। जब ठाकुर को यह पता चला कि मोहनदास महाराज को असोता आए बिना ही प्रतिमा के बारे में पता है, तो वे हैरान रह गए।
रखी ये शर्त
ठाकुर ने प्रतिमा को सालासर ले जाने के लिए एक बैलगाड़ी मंगाई और यह तय किया गया कि जहां बैलगाड़ी रुक जाएगी, वहीं प्रतिमा स्थापित की जाएगी।
बैलगाड़ी सालासर में वर्तमान मंदिर स्थल पर आकर रुकी, और वहीं यह अद्वितीय प्रतिमा स्थापित की गई। फिर संत मोहनदास के सपने की तरह प्रतिमा को दाढ़ी और मूंछों के साथ बनाया गया, जो आज भी भक्तों के आकर्षण का केंद्र है।
मंदिर से जुड़े रोचक तथ्य
- सालासर बालाजी की सबसे बड़ी विशेषता उनकी दाढ़ी और मूंछों वाली प्रतिमा है, जो उन्हें बाकी धाम से अलग बनाती है।
- इस मंदिर को स्वयंभू (स्वयं प्रकट) भी माना जाता है।
- सालासर बालाजी को बाजरे का चूरमा और नारियल का भोग लगता है, जो उन्हें बहुत प्रिय है।
- मंदिर में एक पेड़ पर नारियल बांधने की एक खास परंपरा है, जहां भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए लाल कपड़े में नारियल बांधते हैं।
- वहीं, मंदिर में एक अखंड अग्नि कुंड (एक कुंड में लगातार अग्नि जलती रहती है।) विराजमान है। कहते हैं कि इसे संत मोहनदास ने लगभग 300 साल पहले प्रज्वलित किया था।
- मंगलवार और शनिवार के दिन मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।
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