Sakat Chauth 2026 Remedies: सकट चौथ व्रत के दिन शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें, दूर होंगी संतान से जुड़ी मुश्किलें
सकट चौथ का व्रत (Sakat Chauth 2026 Kab Hai?) 6 जनवरी 2026 को मनाया जाएगा। यह व्रत माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और बाधाओं को दूर करने के ल ...और पढ़ें

Sakat Chauth 2026 Remedies: सकट चौथ व्रत के उपाय।

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अभी पढ़ेंधर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को सकट चौथ का व्रत रखा जाता है। इसे संकट चौथ या तिलकुटा चौथ के नाम से जाना जाता है। इस साल यह पावन व्रत 06 जनवरी (Sakat Chauth 2026 Kab Hai?) को मनाया जाएगा। यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु, अच्छी सेहत और उनके जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए रखती हैं। सकट चौथ भगवान गणेश को समर्पित है, लेकिन शिव परिवार की पूर्ण कृपा के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ शिवलिंग पर कुछ विशेष वस्तुएं चढ़ाएं। ऐसा करने से संतान से जुड़ी हर मुश्किलें दूर होती हैं।
शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें (Offer These Things To The Shivling)

बिल्व पत्र और शमी पत्र
भगवान शिव को बिल्व पत्र बहुत प्रिय है और गणेश जी को शमी पत्र। ऐसे में सकट चौथ के दिन शिवलिंग पर 11 बिल्व पत्र और 11 शमी पत्र चढ़ाएं। ऐसा करने से संतान का गुस्सा कम होता है और उसे सही दिशा में आगे बढ़ने की बुद्धि मिलती है।
दूध और काले तिल
कच्चा दूध और काले तिल से शिवलिंग का अभिषेक करें। अगर आपकी संतान बार-बार बीमार पड़ती है, तो उसे बिमारियों से छुटकारा मिलता है और नजर दोष लगता दूर होता है। साथ ही यह उपाय सुरक्षा कवच का काम भी करता है।
गन्ने का रस
सकट चौथ के दिन शिवलिंग पर गन्ने का रस अर्पित करने से संतान के जीवन में आने वाली आर्थिक बाधाएं और करियर की रुकावटें दूर होती हैं।
दूर्वा की माला
सकट चौथ पर शिवलिंग के पास स्थित गणेश प्रतिमा या शिवलिंग पर ही 21 दूर्वा की मालाएं चढ़ाएं। ऐसा करने से संतान की बुद्धि तेज होती है और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलती है।
सकट चौथ व्रत के जरूरी नियम (Sakat Chauth 2026 Rituals)
- चंद्र दर्शन का महत्व - यह व्रत तब तक पूरा नहीं माना जाता जब तक कि रात में चंद्रमा को अर्घ्य न दे दिया जाए। अर्घ्य के जल में दूध और तिल जरूर मिलाएं।
- तिलकुटा का भोग - इस दिन तिल और गुड़ से बने 'तिलकुटा' का प्रसाद बनाया जाता है। इसका दान करना और खुद फलाहार में लेना शुभ होता है।
- कथा पाठ - सकट माता और गणेश जी की कथा सुनना इस व्रत का अहम हिस्सा है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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