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    Sakat Chauth 2025: अगले साल कब है सकट चौथ का व्रत, जल्दी से नोट कर लें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 10:24 AM (IST)

    हर साल माघ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर सकट चौथ (Sakat Chauth 2025) का व्रत किया जाता है। इस व्रत को मुख्य रूप से माताएं अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य के लिए करती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आने वाले साल में सकट चौथ का व्रत कब किया जाएगा। साथ ही जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

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    Sakat Chauth 2025 जानिए गणेश जी की पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सकट चौथ (Sakat Chauth 2025 Kab Hai) पर भगवान गणेश और सकट माता की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पर माताओं द्वारा भगवान गणेश और सकट माता की उपासना और व्रत करने से संतान का कल्याण होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आप किस तरह इस दिन गणेश जी को प्रसन्न कर सकते हैं।

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    सकट चौथ शुभ मुहूर्त (Sakat Chauth Shubh Muhurat)

    माघ माह की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 17 जनवरी को प्रातः 04 बजकर 06 मिनट पर हो रहा है। साथ ही इस तिथि का समापन 18 जनवरी को प्रातः 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। इस प्रकार उदया तिथि के अनुसार, सकट चौथ का व्रत शुक्रवार, 17 जनवरी 2025 को किया जाएगा। इस दौरान चन्द्रोदय का समय कुछ इस प्रकार रहने वाला है। 

    सकट चौथ के दिन चन्द्रोदय का समय - रात 09 बजकर 09 मिनट पर

    सकट चौथ पूजा विधि (Sakat Chauth puja vidhi)

    • सुबह उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहनें।
    • भगवान गणेश का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
    • चौकी पर हरे या लाल रंग का कपड़ा बिछाकर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
    • गणेश जी को सिंदूर का तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
    • गणेश जी को फूल, फल, मिठाइयां, दुर्वा, तिल से बनी चीज़ें चढ़ाएं।
    • तिलकुट का भोग लगाएं (तिल और गुड़ के लड्डू)
    • व्रत कथा का पाठ करने के बाद गणेश जी की आरती करें और उनके मंत्रों का जप करें।
    • अंत में सभा लोगों में प्रसाद बांटें।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

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    करें इस मंत्र का जप

    सकट चौथ के दिन पर पूजा के दौरान ओम गं गणपतये नम: मंत्र का जप कम-से-कम 108 बार करना चाहिए। ऐसा करने से गणेश जी आपसे प्रसन्न होते हैं और आपके ऊपर अपनी दया दृष्टि बनाए रखते हैं। इसी के साथ आप सकट चौथ के दिन इन मंत्रों का जप भी कर सकते हैं -

    वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।