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    Sakat Chauth 2025: सकट चौथ पर करें इस कवच का पाठ, धन से भरी रहेगी तिजोरी

    सकट चौथ (Sakat Chauth 2025 date) का व्रत बहुत पुण्यदायी माना जाता है। इस दिन भगवान गणेश और सकट माता की पूजा होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं और अपने संतान की सुरक्षा के लिए पूजा-अर्चना करती हैं। वहीं इस दिन भगवान गणेश के कवच का पाठ परम फलदायी माना गया है जो इस प्रकार है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Wed, 15 Jan 2025 09:10 AM (IST)
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    Sakat Chauth 2025: भगवान गणेश की आराधना।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में सकट चौथ का दिन बेहद कल्याकारी माना गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह व्रत हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस उपवास को रखने से संतान से जुड़ी सभी समस्याओं का मुश्किलों का अंत होता है। इस दिन महिलाएं कठिन व्रत का पालन करती हैं, और भगवान गणेश की आराधना करती हैं। वहीं, इस दिन (Sakat Chauth 2025 Date) ''श्री हरिद्रा गणेश कवच'' का पाठ बेहद शुभ माना जाता है।

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    ऐसे में सुबह उठकर पवित्र स्नान करें। फिर बप्पा को बूंदी लड्डू , दुर्वा, केला आदि चीजें अर्पित करें। ऐसा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    ।।हरिद्रा गणेश कवच।।

    शृणु वक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिकरं प्रिये ।

    पठित्वा पाठयित्वा च मुच्यते सर्व संकटात् ॥

    अज्ञात्वा कवचं देवि गणेशस्य मनुं जपेत् ।

    सिद्धिर्नजायते तस्य कल्पकोटिशतैरपि ॥

    ॐ आमोदश्च शिरः पातु प्रमोदश्च शिखोपरि ।

    सम्मोदो भ्रूयुगे पातु भ्रूमध्ये च गणाधिपः ॥

    गणाक्रीडो नेत्रयुगं नासायां गणनायकः ।

    गणक्रीडान्वितः पातु वदने सर्वसिद्धये ॥

    जिह्वायां सुमुखः पातु ग्रीवायां दुर्मुखः सदा ।

    विघ्नेशो हृदये पातु विघ्ननाथश्च वक्षसि ॥

    गणानां नायकः पातु बाहुयुग्मं सदा मम ।

    विघ्नकर्ता च ह्युदरे विघ्नहर्ता च लिङ्गके ॥

    गजवक्त्रः कटीदेशे एकदन्तो नितम्बके ।

    लम्बोदरः सदा पातु गुह्यदेशे ममारुणः ॥

    व्यालयज्ञोपवीती मां पातु पादयुगे सदा ।

    जापकः सर्वदा पातु जानुजङ्घे गणाधिपः ॥

    हारिद्रः सर्वदा पातु सर्वाङ्गे गणनायकः ।

    य इदं प्रपठेन्नित्यं गणेशस्य महेश्वरि ॥

    कवचं सर्वसिद्धाख्यं सर्वविघ्नविनाशनम् ।

    सर्वसिद्धिकरं साक्षात्सर्वपापविमोचनम् ॥

    सर्वसम्पत्प्रदं साक्षात्सर्वदुःखविमोक्षणम् ।

    सर्वापत्तिप्रशमनं सर्वशत्रुक्षयङ्करम् ॥

    ग्रहपीडा ज्वरा रोगा ये चान्ये गुह्यकादयः ।

    पठनाद्धारणादेव नाशमायन्ति तत्क्षणात् ॥

    धनधान्यकरं देवि कवचं सुरपूजितम् ।

    समं नास्ति महेशानि त्रैलोक्ये कवचस्य च ॥

    हारिद्रस्य महादेवि विघ्नराजस्य भूतले ।

    किमन्यैरसदालापैर्यत्रायुर्व्ययतामियात् ॥

    ।।गणेश स्तुति।।

    ।।ॐ गं गणपतये नम:।।

    ॥ गाइये गणपति जगवंदन स्तुति॥

    गाइये गणपति जगवंदन ।

    शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

    सिद्धि सदन गजवदन विनायक ।

    कृपा सिंधु सुंदर सब लायक ॥

    गाइये गणपति जगवंदन ।

    शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

    मोदक प्रिय मुद मंगल दाता ।

    विद्या बारिधि बुद्धि विधाता ॥

    गाइये गणपति जगवंदन ।

    शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

    मांगत तुलसीदास कर जोरे ।

    बसहिं रामसिय मानस मोरे ॥

    गाइये गणपति जगवंदन ।

    शंकर सुवन भवानी के नंदन ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।