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    Rudraksha Niyam: किन लोगों को धारण नहीं करना चाहिए रुद्राक्ष? यहां पढ़ें इसके नियम और आध्यात्मिक लाभ

    Updated: Sat, 14 Dec 2024 06:00 PM (IST)

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रुद्राक्ष धारण करने से जातक को त्रिदेवों यानी ब्रह्मा विष्णु महेश की कृपा सदैव बनी रहती है और जीवन में कई तरह के लाभ देखने को मिलते हैं लेकिन इसे धारण करने के लिए नियम का पालन करना बेहद आवश्यक होता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि रुद्राक्ष (Rudraksha Niyam) से जुड़े नियम के बारे में।

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    Rudraksha Niyam: कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति महादेव के आंसुओं से हुई है। इसी वजह से इसे विशेष दर्जा दिया गया है। इसे धारण करने से जातक को जीवन में सभी सुखों (Rudraksha Benefits) की प्राप्ति होती है और कष्टों से छुटकारा मिलता है, लेकिन इसके नियम का पालन करने अधिक जरूरी है। ऐसा माना जाता है कि नियम का पालन न करने से कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके अलावा कुछ लोगों को भूलकर भी रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए, जिससे महादेव नाराज हो सकते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि किन लोगों को रुद्राक्ष धारण (Rudraksha Niyam in Hindi) नहीं करना चाहिए?

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    रुद्राक्ष धारण करने के नियम

    • रुद्राक्ष को गंदे हाथ से नहीं छूना चाहिए।
    • इसके पहनने से पहले रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए।
    • इसके बाद इस पर तिलक लगाना चाहिए।
    • रुद्राक्ष को लाल या फिर पीले धागे में ड़ालकर धारण करना चाहिए।
    • इसको धारण करने से पहले रुद्राक्ष के मूल मंत्र का जप करना शुभ माना जाता है।

    इन लोगों को धारण नहीं करना चाहिए रुद्राक्ष

    • मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए।
    • तामसिक भोजन का सेवन करने वाले जातक को रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए।
    • इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी रुद्राक्ष धारण करने से बचना चाहिए।

    यह भी पढ़ें: Rudraksha Ke Niyam: जान लें रुद्राक्ष से जुड़ी ये जरूरी बातें, तभी मिलेगा पूर्ण लाभ

    रुद्राक्ष धारण करने से मिलते हैं ये आध्यात्मिक लाभ

    • रुद्राक्ष धारण करने से महादेव की कृपा प्राप्त होती है।
    • सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
    • कुंडली में सूर्य मजबूत होता है।
    • इसके अलावा पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
    • मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।

    क्या है रुद्राक्ष का अर्थ

    रुद्राक्ष में रुद्र का अर्थ है भगवान शिव और अक्ष का अर्थ है अश्रु। ऐसा माना जाता है कि इसकी उत्पत्ति महादेव के आंसुओं से हुई है।

    कैसे हुई रुद्राक्ष की उत्पत्ति

    पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक बार त्रिपुरासुर राक्षस ने हाहाकार मचाया हुआ था, जिसकी वजह से देवी-देवता परेशान हो गए थे। इसके बाद देवी-देवता ने भगवान शिव से सहायता मांगी। उनकी बात को सुनकर महादेव ध्यान में चले गए। इसके बाद जब उन्होंने अपनी आंखें खोली, तो उनकी आंखों में से आंसू निकलें। भगवान शिव के आंसू जहां-जहां गिरे वहां-वहां रुद्राक्ष के पेड़ उत्पन्न हो गए। इसके बाद शिव जी ने त्रिपुरासुर का अंत किया और देवी-देवता को अत्याचारों से छुटकारा दिलाया।

    यह भी पढ़ें: Rudraksha Niyam: धारण करना चाहते हैं रुद्राक्ष, तो पहले जान लें ये जरूरी नियम

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।