Rohini Vrat 2024 Date: मार्च में कब है रोहिणी व्रत? ऐसे करें भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा
रोहिणी व्रत का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में 16 मार्च को रोहिणी व्रत है। इस अवसर पर जैन धर्म के लोग भगवान वासुपूज्य स्वामी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार जो विवाहित महिलाएं यह व्रत करती हैं। उन्हें सुख सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और पति की दीर्घ आयु होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rohini Vrat 2024 in March: जैन धर्म में रोहिणी व्रत का संबंध नक्षत्रों से माना गया है। जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, तो उस दिन यह व्रत किया जाता है। पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह में 16 मार्च को रोहिणी व्रत है। इस अवसर पर जैन धर्म के लोग भगवान वासुपूज्य स्वामी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो विवाहित महिलाएं यह व्रत करती हैं। उन्हें सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है और पति की दीर्घ आयु होती है। रोहिणी व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों कर सकते हैं। चलिए इस लेख में हम आपको बताएंगे रोहिणी व्रत की डेट और पूजा विधि के बारे में।
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रोहिणी व्रत 2024 मार्च तिथि (Rohini Vrat 2024 March Date)
पंचांग के अनुसार, रोहिणी व्रत 16 मार्च, 2024 दिन शनिवार को है।
रोहिणी व्रत पूजा विधि (Rohini Vrat Puja Vidhi)
रोहिणी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और दिन की शुरुआत भगवान वासुपूज्य स्वामी के ध्यान से करें। अब स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें और सूर्यदेव को जल अर्पित करें। इसके बाद भगवान वासुपूज्य स्वामी को फूल और फल अर्पित करें। दिन भर उपवास रखें। संध्याकाल में आरती कर भगवान का ध्यान करें। इसके पश्चात फलाहार करें। अब अगले दिन पूजा-पाठ संपन्न कर व्रत का पारण करें। साथ ही आप अपनी श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का गरीबों को दान कर सकते हैं। माना जाता है कि दान करने से इंसान को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
भगवान वासुपूज्य की आरती ( Vasupujya Swami Aarti Lyrics)
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।ॐ जय।।
चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे। स्वामी धन्य...
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।1।। ॐ जय...
बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा। स्वामी महाव्रत...
प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।2।। ॐ जय...
गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवलज्ञान लिया। स्वामी...
चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।3।। ॐ जय...
वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर। स्वामी...
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