Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Shiv Stuti: भगवान शिव की पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 20 Apr 2025 04:52 PM (IST)

    साधक सोमवार के दिन भगवान शिव (Lord Shiv Puja Vidhi) जी की पूजा करते हैं। इस समय गंगाजल या कच्चे दूध से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। जलाभिषेक करने से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। उनकी कृपा से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही साधक को मृत्यु लोक में स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है।

    Hero Image
    Shiv Stuti: भगवान शिव को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव को सोमवार का दिन अति प्रिय है। इस दिन देवों के देव महादेव एवं जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान शिव के निमित्त सोमवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष शीघ विवाह के लिए देवों के देव महादेव की पूजा करने की सलाह देते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    देवों के देव महादेव की पूजा करने से चंद्र और शुक्र देव की कृपा बरसती है। चंद्र देव की कृपा से जातक को सभी प्रकार के शुभ कामों में सफलता मिलती है। साथ ही मन प्रसन्न रहता है। अगर आप भी महादेव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन भक्ति भाव से महादेव की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शिव स्तुति का पाठ अवश्य करें।

    यह भी पढ़ें: वरूथिनी एकादशी पर इन जगहों पर जलाएं दीपक, दूर होगी घर की दरिद्रता

    ध्यान

    वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम् ।

    कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम् ॥

    स्वर्णवर्णा निर्वाणचक्र स्थिताम् नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम् ।

    शङ्ख, चक्र, गदा, पद्मधरां सिद्धीदात्री भजेम् ॥

    पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम् ।

    मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि रत्नकुण्डल मण्डिताम् ॥

    प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोला पीन पयोधराम् ।

    कमनीयां लावण्यां श्रीणकटिं निम्ननाभि नितम्बनीम् ॥

    स्तोत्र

    कञ्चनाभा शङ्खचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो ।

    स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम् ।

    नलिस्थिताम् नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोऽस्तुते ॥

    परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा ।

    परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता ।

    विश्व वार्चिता, विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी ।

    भवसागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनीं ।

    मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोऽस्तुते ॥

    शिव स्तुति मंत्र

    पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम।

    जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम।

    महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्।

    विरूपाक्षमिन्द्वर्कवह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्।

    गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्।

    भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्।

    शिवाकान्त शंभो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिञ्जटाजूटधारिन्।

    त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूप: प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।

    परात्मानमेकं जगद्बीजमाद्यं निरीहं निराकारमोंकारवेद्यम्।

    यतो जायते पाल्यते येन विश्वं तमीशं भजे लीयते यत्र विश्वम्।

    न भूमिर्नं चापो न वह्निर्न वायुर्न चाकाशमास्ते न तन्द्रा न निद्रा।

    न गृष्मो न शीतं न देशो न वेषो न यस्यास्ति मूर्तिस्त्रिमूर्तिं तमीड।

    अजं शाश्वतं कारणं कारणानां शिवं केवलं भासकं भासकानाम्।

    तुरीयं तम:पारमाद्यन्तहीनं प्रपद्ये परं पावनं द्वैतहीनम।

    नमस्ते नमस्ते विभो विश्वमूर्ते नमस्ते नमस्ते चिदानन्दमूर्ते।

    नमस्ते नमस्ते तपोयोगगम्य नमस्ते नमस्ते श्रुतिज्ञानगम्।

    प्रभो शूलपाणे विभो विश्वनाथ महादेव शंभो महेश त्रिनेत्।

    शिवाकान्त शान्त स्मरारे पुरारे त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।

    शंभो महेश करुणामय शूलपाणे गौरीपते पशुपते पशुपाशनाशिन्।

    काशीपते करुणया जगदेतदेक-स्त्वंहंसि पासि विदधासि महेश्वरोऽसि।

    त्वत्तो जगद्भवति देव भव स्मरारे त्वय्येव तिष्ठति जगन्मृड विश्वनाथ।

    त्वय्येव गच्छति लयं जगदेतदीश लिङ्गात्मके हर चराचरविश्वरूपिन।

    यह भी पढ़ें: Parashurama Jayanti पर सौभाग्य योग समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, मिलेगा दोगुना लाभ

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।