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    Shardiya Navratri 2025: इस आरती के बिना अधूरी है मां चंद्रघंटा की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

    Updated: Wed, 24 Sep 2025 09:08 AM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) के तीसरे दिन इन्द्र योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में देवी मां चंद्रघंटा (Maa chandraghanta aarti) की पूजा और भक्ति करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही परेशानी से मुक्ति मिलेगी।

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    Shardiya Navratri 2025: मां चंद्रघंटा को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शारदीय नवरात्र का त्योहार देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इसी क्रम में शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा (Maa chandraghanta puja) की जाएगी। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी।

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    अगर आप भी जगत की देवी मां चंद्रघंटा की कृपा पाना चाहते हैं, तो शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन भक्ति भाव से मां चंद्रघंटा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय चंद्रघंटा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा का समापन इस खास आरती (Maa chandraghanta aarti) से करें।  

    मां चंद्रघंटा की आरती (Navratri day 3 aarti)

    जय माँ चन्द्रघण्टा सुख धाम।

    पूर्ण कीजो मेरे काम॥

    चन्द्र समाज तू शीतल दाती।

    चन्द्र तेज किरणों में समाती॥

    मन की मालक मन भाती हो।

    चन्द्रघण्टा तुम वर दाती हो॥

    सुन्दर भाव को लाने वाली।

    हर संकट में बचाने वाली॥

    हर बुधवार को तुझे ध्याये।

    श्रद्दा सहित तो विनय सुनाए॥

    मूर्ति चन्द्र आकार बनाए।

    शीश झुका कहे मन की बाता॥

    पूर्ण आस करो जगत दाता।

    कांचीपुर स्थान तुम्हारा॥

    कर्नाटिका में मान तुम्हारा।

    नाम तेरा रटू महारानी॥

    भक्त की रक्षा करो भवानी।

    ।।मां दुर्गा की आरती।।

    जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।

    तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।।

    जय अम्बे गौरी...

    मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

    उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।।

    जय अम्बे गौरी...

    कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

    रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।।

    जय अम्बे गौरी...

    केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

    सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।।

    जय अम्बे गौरी...

    कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

    कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।।

    जय अम्बे गौरी...

    शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

    धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।।

    जय अम्बे गौरी...

    चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

    मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।।

    जय अम्बे गौरी...

    ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

    आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।।

    जय अम्बे गौरी...

    चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

    बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।।

    जय अम्बे गौरी...

    तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

    भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।।

    जय अम्बे गौरी...

    भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

    मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।।

    जय अम्बे गौरी...

    कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

    श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।।

    जय अम्बे गौरी...

    अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

    कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।।

    जय अम्बे गौरी...

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।