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    Ganpati Stotra: बुधवार को पूजा के समय करें संतान गणपति स्तोत्र का पाठ, घर गूंजेगी किलकारी

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 14 Aug 2024 01:50 PM (IST)

    सनातन धर्म में शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश (Santan Ganpati Stotra) की पूजा करने से जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुखों का नाश होता है। साथ ही घर में सुख समृद्धि एवं खुशहाली आती है। साधक श्रद्धा भाव से बुधवार के दिन गजानन की पूजा करते हैं।

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    Lord Ganesh: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है। इस दिन देवों के देव महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा की जाती है। बुधवार को जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की भी उपासना की जाती है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। साथ ही सकल मनोरथ भी सिद्ध हो जाते हैं। अतः साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा (Lord Ganesh Puja Vidhi) करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो भगवान गणेश की उपासना करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है। अगर आप भी पुत्र सुख पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के समय संतान गणपति स्तोत्र का पाठ अवश्य करें। इस स्तोत्र के पाठ से संतान सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है। 

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    संतान प्राप्ति मंत्र

    1. वक्रतुण्ड महाकाय, सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव, सर्वकार्येषु सर्वदा।।

    2. ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै।

    3. ऊँ कृष्णाय विद्महे दामोदराय धीमहि तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

    4. विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

    नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

    5. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः

    संतान गणपति स्तोत्र

    नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

    सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

    गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

    गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

    विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

    नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

    एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

    प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

    शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

    भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

    ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

    पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।