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    Rinmukti Stotra: बुधवार के दिन पूजा के समय करें ऋणमुक्ति स्तोत्र का पाठ, आर्थिक तंगी से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 03 Sep 2024 06:56 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा (Lord Ganesh Puja Vidhi) करने से आय सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। बु ...और पढ़ें

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    Lord Ganesh: भगवान गणेश को कैसे प्रसन्न करें ?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में भगवान गणेश प्रथम पूजनीय हैं। हर शुभ कार्य की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से होती है। इस समय गणपति बप्पा से शुभ कार्य में सिद्धि और सफलता पाने की कामना की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है। ज्योतिष भी ऋण यानी कर्ज से मुक्ति पाने के लिए भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी आर्थिक संकटों से निजात पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन विधि-विधान से भगवान गणेश की पूजा करें। इसके साथ ही पूजा के समय ऋणमुक्ति गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

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    ऋणहर्ता श्री गणेश स्तोत्र

    सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजितः फलसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    त्रिपुरस्य वधात्पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    हिरण्यकश्यपादीनां वधार्थे विष्णुनार्चितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    महिषस्य वधे देव्या गणनाथः प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    तारकस्य वधात्पूर्वं कुमारेण प्रपूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    भास्करेण गणेशस्तु पूजितश्छविसिद्धये।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    शशिना कान्तिसिद्ध्यर्थं पूजितो गणनायकः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    पालनाय च तपसा विश्वामित्रेण पूजितः।

    सदैव पार्वतीपुत्र ऋणनाशं करोतु मे॥

    इदं त्वृणहरं स्तोत्रं तीव्रदारिद्र्यनाशनम्।

    एकवारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं समाहितः॥

    दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेरसमतां व्रजेत्।

    फडन्तोऽयं महामन्त्रः सार्धपञ्चदशाक्षरः॥

    अस्यैवायुतसंख्याभिः पुरश्चरणमीरितम।

    सहस्रावर्तनात् सद्यो वाञ्छितं लभते फलम्॥

    भूत-प्रेत-पिशाचानां नाशनं स्मृतिमात्रतः॥

    ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र

    ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

    षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥

    महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

    एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥

    एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

    महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

    सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥

    रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

    रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

    कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥

    पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

    पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

    सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥

    एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

    षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।