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    Masik Shivratri 2024: भगवान शिव की पूजा के समय करें मंगलकारी स्तुति का पाठ, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 29 Sep 2024 06:24 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि देवों के देव महादेव संग मां पार्वती (Masik Shivratri 2024) की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही सभी प्रकार के शारीरिक एवं मानसिक व्याधि से मुक्ति मिलती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से देवों के देव महादेव संग मां पार्वती की पूजा एवं सेवा करते हैं।

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    Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 30 सितंबर को मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर शिव-शक्ति यानी देवों के देव महादेव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। अगर आप भी आर्थिक तंगी समेत सभी प्रकार की परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं, तो मासिक शिवरात्रि पर विधिपूर्वक महादेव संग मां पार्वती की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय शिव शंकर स्तुति का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से महादेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

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    नमामि शिव शंकरम स्तुति

    नमो भूत भूतनाथ नन्दीश्वर श्री हरे,

    बहत गंग शिरपरे,जटा उतंग फरफरे,

    हिमालये उमा सहित,शोभितं निरन्तरं,

    उमापति महेश्वरम,नमामि शिव शंकरम…

    त्रिताप पाप क्षारणं,प्रभाय धर्म धारणम,

    समस्त सृष्टि धारणम,मांगल्य मृत्यु कारणम…

    अगम अनादि आशुतोष,धुर्जटी धुरंधरम,

    उमापति महेश्वरम,नमामि शिव शंकरम..

    भले भभूत रंग में,रहत मस्त भंग में

    श्मशानघाट वासिनी भुत प्रेत संग में…

    करंत हस्त घोरनाद,डमरू डडंकरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    गले भुजंग मुण्डमाल भाल चंद शोभितंम ,

    मयंक भग्य दर्शकात्,भक्त चित लोभितंम …

    आनंदकंद ध्यान मस्त,ॐकार उच्चरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    धरि त्रिशूल हाथ नाथ,दक्ष यज्ञ खंडितम,

    रेमंड घोर गर्गरम तान्डव नृत्य मण्डितम,

    देवाधिदेव दिव्य भव्य भासकम भयंकरम,

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    अजर अमर त्रिपुर हरम..करम त्रिशूल धारणम,

    संसार पाश नाशनम भव व्याधि पार तारणम…

    भजंत सर्व शिव हरे सुरासुरम धुरंधरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    सोमेश्वरा,नागेश्वरा,श्रीमल्लिकार्जुनेश्वरा,

    महाकालं ममलेश्वरा धुश्मेशरा…

    विश्वेशरा,केदार,भीम,बैद्यनाथ,त्रयंबकम रामेश्वरम,

    उमापति महेश्वरम नमामि शिव शंकरम…

    प्रसन्न हो परम पिता,ये अनूपदान दायिताम,

    नमः शिवाय नमः शिवाय भक्त गुण गायितंम …

    नमः अलख निरंजनम श्याम मंगलम करम,

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर...

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर...

    उमा पति महेश्वरम नमामि शिव शंकर।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।