Brihaspati Kavach: आर्थिक तंगी से पाना चाहते हैं निजात, तो गुरुवार के दिन जरूर करें गुरु कवच का पाठ
कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। जातक अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है। वहीं कुंडली में गुरु कमजोर होने से जातक को आर्थिक संकटों से गुजरना पड़ता है। करियर और कारोबार में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली | Brihaspati Kavach: ज्योतिष शास्त्र में देवगुरु बृहस्पति को सुखों का कारक माना गया है। कुंडली में गुरु मजबूत होने से जातक को जीवन में सभी प्रकार की सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। जातक अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करता है। समाज में मान-सम्मान प्राप्त करता है। वहीं, कुंडली में गुरु कमजोर होने से जातक को आर्थिक संकटों से गुजरना पड़ता है। करियर और कारोबार में ढेर सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। अगर आपकी कुंडली में भी गुरु कमजोर है, तो मजबूत करने के लिए गुरुवार के दिन विधि-विधान से जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय गुरु ग्रह कवच का पाठ अवश्य करें।
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गुरु ग्रह कवच
ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।
पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ॥
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ॥
नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ॥
भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।
संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ॥
ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥
रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।
जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ॥
डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।
हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ॥
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।
मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ॥
महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।
वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ॥
गुरु बीज मंत्र
ॐ बृं बृहस्पतये नम:।।
ऊं गुं गुरुवाये नम:।।
पौराणिक मंत्र
ॐ देवानां च ऋषीणां च गुरु कांचन संन्निभम्।
बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्” ।।
गुरु मंत्र
“ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:॥”
“ॐ गुं गुरवे नम:॥”
“ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:॥”
“ॐ ह्रीं क्लीं हूं बृहस्पतये नमः
गुरू गायत्री मंत्र
“ॐ अंगिरो जाताय विद्महे वाचस्पतये धीमहि तन्नो गुरु प्रचोदयात्” ।।
गुरू वैदिक मंत्र
ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु ।
यद्दीदयच्दवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।
तांत्रिक मंत्र
ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः”।
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