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    Ravi Pradosh Vrat 2023: आज शाम के समय करें भगवान शिव की आरती, मिलेगा धन-वैभव का आशीर्वाद

    By Vaishnavi DwivediEdited By: Vaishnavi Dwivedi
    Updated: Sun, 10 Dec 2023 09:55 AM (IST)

    Ravi Pradosh Vrat 2023 प्रदोष व्रत भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। ऐसी मान्यता है जो साधक सच्ची श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। ऐसे में हर व्रती को इस शुभ दिन पर महादेव की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए जो इस प्रकार है-

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    Ravi Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत आरती

    धर्म डेस्क,नई दिल्ली। Ravi Pradosh Vrat 2023: सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही खास माना गया है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है, जो भक्त सच्ची श्रद्धा के साथ भोलेनाथ की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

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    ऐसे में हर व्रती को इस शुभ दिन पर महादेव की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। साथ ही आरती के साथ पूजा का समापन करना चाहिए, जो इस प्रकार है-

    ।।भगवान शिव की आरती।।

    ॐ जय शिव ओंकारा,

    स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

    अर्द्धांगी धारा ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    एकानन चतुरानन

    पंचानन राजे ।

    हंसासन गरूड़ासन

    वृषवाहन साजे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज

    दसभुज अति सोहे ।

    त्रिगुण रूप निरखते

    त्रिभुवन जन मोहे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    अक्षमाला वनमाला,

    मुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै,

    भाले शशिधारी ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर

    बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक

    भूतादिक संगे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    कर के मध्य कमंडल

    चक्र त्रिशूलधारी ।

    सुखकारी दुखहारी

    जगपालन कारी ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव

    जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर में शोभित

    ये तीनों एका ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    त्रिगुणस्वामी जी की आरति

    जो कोइ नर गावे ।

    कहत शिवानंद स्वामी

    सुख संपति पावे ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    लक्ष्मी व सावित्री

    पार्वती संगा ।

    पार्वती अर्द्धांगी,

    शिवलहरी गंगा ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    पर्वत सोहैं पार्वती,

    शंकर कैलासा ।

    भांग धतूर का भोजन,

    भस्मी में वासा ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    जटा में गंग बहत है,

    गल मुण्डन माला ।

    शेष नाग लिपटावत,

    ओढ़त मृगछाला ॥

    जय शिव ओंकारा...॥

    काशी में विराजे विश्वनाथ,

    नंदी ब्रह्मचारी ।

    नित उठ दर्शन पावत,

    महिमा अति भारी ॥

    ॐ जय शिव ओंकारा...॥

    ॐ जय शिव ओंकारा,

    स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव,

    अर्द्धांगी धारा ॥

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    डिस्क्लेमर- 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।