Ravana: दशानन को अपनी दहाड़ के कारण मिला रावण नाम, जानिए इसके पीछे की रोचक कथा
रावण सोने की लंका और पुष्पक विमान जैसी अद्वितीय संपदाओं का स्वामी था। इतना ही नहीं रावण ने शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने के अलावा अन्य कई तंत्र ग्रंथों की रचना की। रामायण के एक मुख्य पात्र रावण को हम सभी आज इसी नाम से जानते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उसका यह नाम कैसे पड़ा। आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।

नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Ravana: रावण की माता कैकसी क्षत्रीय राक्षस कुल की थीं और उसके पिता ऋषि विश्रवा थे। इसलिए उसे ब्रह्मराक्षस कहा जाता था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार रावण पुलस्त्य मुनि का पोता था। रावण एक अति ज्ञानी ब्राह्मण था। उसे चारों वेदों का ज्ञान बचपन में ही हो गया था। यहीं नहीं आयुर्वेद, ज्योतिष और तंत्र विद्या में उसने ज्ञान प्राप्त किया। रावण की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मायावी शक्ति के कारण रावण ने कई देवताओं को बंदी बनाया था।
कैसे मिला रावण नाम
जब कुबेर को परास्त करने के बाद रावण पुष्पक विमान लेकर अपनी लंका की ओर जा रहा था, तो वह विमान कैलाश पर्वत के सामने जाकर रुक जाता है। जब रावण ने उस पर्वत को अपने रास्ते से हटाने का प्रयास किया तो नंदी जी ने उसे ऐसा करने से रोका। तब रावण नंदी जी का अपमान करते हुए उन्हें अपने रास्ते से हटने को कहा। नंदी जी की बात को नकारते हुए रावण कैलाश पर्वत को खिसका ही रहा होता है कि तभी भगवान शिव अपने पैर के अंगूठे को पर्वत के ऊपर रख देते हैं। जिस कारण पर्वत के नीचे रावण के हाथ कुचल जाते हैं। दर्द के कारण दशानन इतनी जोर से दहाड़ मारता है कि उसका नाम रावण पड़ जाता है। रावण का शाब्दिक अर्थ होता है तेज आवाज में दहाड़ना। यही कारण है कि उसे रावण नाम मिला।
रावण के अन्य नाम कौन-से हैं
रावण को कई नामों से जाना जाता है। सोने की लंका के स्वामी होने के कारण रावण को लंकेश या लंकापति के नाम से जाना जाता था। दस सिर होने के कारण रावण को दशानन भी कहा जाता था। कुछ विद्वानों अनुसार रावण छह दर्शन और चारों वेद का ज्ञाता था इसलिए उसे दसकंठी भी कहा जाता था।
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