Ratna Astrology: इन लोगों को पहनना चाहिए पुखराज, कई समस्याएं हो जाती हैं छूमंतर
ज्योतिष शास्त्र में माना गया है कि ग्रहों का हमारे जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ता है। इसी के साथ रत्न ज्योतिष शास्त्र में हर ग्रह से संबंधित कोई-न-कोई रत्न भी बताया गया है जिसे धारण करने से आपकी कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। ऐसे में आज हम आपको पुखराज रत्न के बारे में बताने जा रहे हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रत्न ज्योतिष (Ratna Jyotish) को ज्योतिष शास्त्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। अगर आप ज्योतिषीय सलाह पर रत्न धारण करते हैं, तो इससे जीवन के कई क्षेत्रों में आपको लाभ देखने को मिल सकता है। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पुखराज किन्हें और कब धारण करना चाहिए।
मिलते हैं ये लाभ
पुखराज पीले रंग का रत्न होता है, जो गुरु ग्रह यानी बृहस्पति ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसे में इस रत्न को धारण करने से जातक को जीवन में धन-संपत्ति की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही इससे जातक को विवाह में आ रही अड़चने भी दूर हो जाती हैं। साथ ही यह भी माना जाता है कि पुखराज रत्न को धारण करने से जातक को शिक्षा, करियर और दांपत्य जीवन आदि में लाभ देखने को मिल सकता है।
कौन कर सकता है धारण
पुखराज रत्न को मुख्य रूप से गुरु ग्रह को मजबूत बनाने के लिए पहना जाता है। गुरु ग्रह का संबंध शिक्षा, सुख-समृद्धि पिता और संतान से माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार, धनु और मीन राशि के लोग पुखराज धारण कर सकते हैं, क्योंकि इन राशियों के ग्रह स्वामी बृहस्पति देव ही हैं।
पुखराज पहनने के नियम
पुखराज को चांदी या सोने की अंगूठी में लगाकर पहनना चाहिए, जो कम-से-कम 5 या फिर 7 कैरेट का होना चाहिए। आप इसे तर्जनी उंगली में धारण कर सकते हैं। पुखराज धारण करने से पहले किसी ज्योतिष से अपनी कुंडली का निरीक्षण कराने के बाद सलाह जरूर लेनी चाहिए।
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इस विधि से करें धारण
पुखराज धारण करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर लें। इसके बाद पुखराज वाली अंगूठी को दूध और गंगाजल में स्नान करवाकर और उसके बाद ही से धारण करें। इसे धारण करने के लिए गुरुवार का दिन सबसे उत्तम माना गया है। इस बात का ध्यान रखें कि एक बार पहनने के बाद इसे बार-बार न उतारें, वरना इसका प्रभाव कम हो सकता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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