Raksha Bandhan 2025: दशकों बाद रक्षाबंधन पर महासंयोग! इस समय राखी बांधने से मिलेगा दोगुना फल
भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व रक्षाबंधन 09 अगस्त (Raksha Bandhan 2025) को देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा। इस शुभ अवसर पर कई शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं। दुर्लभ सौभाग्य योग का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधेंगी।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। इस वर्ष रक्षाबंधन का पर्व अत्यंत विशेष बन गया है, क्योंकि 8 और 9 अगस्त को तीन अत्यंत शुभ योगों का संगम हो रहा है। सर्वार्थ सिद्धि योग, सौभाग्य योग, और श्रवण नक्षत्र। इन दिव्य संयोगों की उपस्थिति रक्षाबंधन को केवल एक सांस्कृतिक परंपरा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और शुभ ऊर्जा से भरा अवसर बना देती है।
जहां यह पर्व भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और जीवनभर के वचन का प्रतीक है, वहीं ये शुभ योग इस रिश्ते में सफलता, समृद्धि और ईश्वरीय आशीर्वाद का स्पर्श जोड़ते हैं। इस बार राखी का धागा सिर्फ स्नेह का नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा, मंगल कामनाओं और शुभ फल का वाहक बन जाएगा। आइए, जानते हैं इन शुभ योगों का रक्षाबंधन पर क्या विशेष प्रभाव रहेगा।
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1. सर्वार्थ सिद्धि योग
यह अत्यंत फलदायक योग 8 अगस्त दोपहर से शुरू होकर 9 अगस्त को श्रवण नक्षत्र समाप्त होने तक बना रहेगा। ‘सर्वार्थ सिद्धि’ का अर्थ है सभी कार्यों की सिद्धि। इस योग में किया गया हर शुभ कार्य न केवल फलदायक होता है, बल्कि दीर्घकालीन सफलता भी देता है। रक्षाबंधन जैसे पवित्र अवसर पर यह योग भाई-बहन के रिश्ते में स्थायित्व, समर्पण और आपसी संबंध को और अधिक मजबूत करता है। राखी बांधते समय मन से निकली हर शुभ भावना इस योग में और भी प्रभावशाली हो जाती है।
2. सौभाग्य योग
9 अगस्त को प्रातः 4:08 बजे से शुरू होकर अगले दिन तक चलने वाला यह योग सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। रक्षाबंधन पर इस योग का प्रभाव विशेष रूप से परिवार में सुख-शांति, बहन के जीवन में सौभाग्य और भाई के जीवन में उन्नति लेकर आता है। इस योग में की गई बहन की प्रार्थनाएं और भाई के वचन अधिक शुभ फल देते हैं।
3. श्रवण नक्षत्र भक्ति, प्रेम और ज्ञान का पवित्र संयोग
श्रवण नक्षत्र को भगवान विष्णु से जुड़ा हुआ माना जाता है। यह नक्षत्र ज्ञान, भक्ति और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होता है। जब रक्षाबंधन का पर्व इस नक्षत्र में आता है, तो यह सिर्फ एक सांसारिक बंधन नहीं रहता, बल्कि भाई-बहन का रिश्ता एक आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंच जाता है। इस नक्षत्र में राखी बांधना न केवल प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह रिश्ते को ईश्वरीय ऊर्जा और धार्मिक स्थिरता भी प्रदान करता है।
इन तीनों योगों का अद्भुत संगम
इन शुभ संयोगों में किया गया रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ रस्म नहीं, बल्कि एक आशीर्वाद बन जाता है। इस दिन बहन की राखी में प्रेम के साथ-साथ आध्यात्मिक ऊर्जा, सफलता का आशीर्वाद, और सौभाग्य की कामना भी जुड़ जाती है। इस विशेष रक्षाबंधन पर, केवल धागा नहीं बांधा जाएगा, बल्कि साथ में वचन, आस्था और ईश्वर की कृपा भी स्नेह की डोरी में पिरोई जाएगी।
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लेखक: आनंनद सागर पाठक, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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