Ramayan: महर्षि वाल्मीकि ने नहीं बल्कि इन्होंने लिखी थी पहली रामायण, जवाब जानकर रह जाएंगे हैरान
अधिकतर लोग यही जानते व मानते हैं कि विश्व की सबसे पहली रामायण (Ramayana katha) महर्षि वाल्मीकि द्वारा संस्कृत में लिखी गई थी। वहीं तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस जो रामायण का ही अवधि संस्करण है वह भी काफी लोकप्रिय हुई। लेकिन क्या आप जानते हैं कि सर्वप्रथम रामायण लिखने वाले कोई और ही थे। चलिए जानते हैं इस विषय में।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रामायण का नाम लेते ही जो सबसे पहला नाम हमारे मन में आता है वह है, महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास जी का। हालांकि इनके अलावा भी कई विद्वानों द्वारा राम जी कथा लिखी गई थी, लेकिन सबसे अधिक लोकप्रियता संस्कृत में लिखी गई रामायण और अवधि में लिखी गई रामचरितमानस को मिली। रामायण एक ऐसा ग्रंथ है, जो केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अन्य कई देशों में भी अपनी एक अगल रामायण देखने को मिलती है।
किसने लिखी थी पहली रामायण
कई हिंदू शास्त्रों में इस बात का वर्णन मिलता है कि सबसे पहली रामायण किसी और ने नहीं बल्कि स्वयं राम जी के परम भक्त हनुमान जी ने लिखी थी। इस रामायण को लेकर यह भी कहा जाता है कि हनुमान जी ने अपने द्वारा लिखित रामायण को समुद्र में फेंक दिया था। चलिए जानते हैं इसके पीछे का कारण।
क्या है कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार हनुमान जी कैलाश में तपस्या कर रहे थे। इस दौरान वह रोजाना अपने नाखून से एक शिला पर राम कथा लिखते। इस तरह उन्होंने शिला पर पूरी राम कथा उकेर दी। इस वक्त तक महर्षि वाल्मीकि भी अपनी रामायण पूर्ण कर चुके थे, जिसे लेकर वह भगवान शिव के पास, कैलाश पर्वत जा पहुंचे। इस दौरान उनकी नजर हनुमान जी द्वारा शिला पर उकेरी गई रामायण पर पड़ी, जिसे देखकर वह हैरान रह गए।
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(Picture Credit: Freepik) (AI Image)
वाल्मीकि की आंख में आए आंसू
उन्होंने एक-एक छंद को बड़े ही ध्यान से पड़ा और हनुमान जी की प्रशंसा करने लगे। तब उन्हें यह अनुभव हुआ कि बजरंगबली की रामायण के आगे, तो उनकी रामायण कुछ भी नहीं है। इसके बाद महर्षि की आंखों से आंसू बहने लगे।
हनुमान जी भी अपनी रामायण भगवान शिव को सौंपना चाहते थे, लेकिन महर्षि को देखने के बाद रुक गए और यह विचार करने लगे कि वाल्मीकि जी एक महान कवि हैं और उनके द्वारा लिखी गई रामायण सरल है। तब हनुमान जी को यह लगा कि वाल्मीकि जी की रामायण आमजन को समझने में कोई परेशानी नहीं होगी। इसलिए हनुमान जी ने अपने द्वारा लिखी गई रामायण को समुद्र में विसर्जित कर दिया।
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