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    Ramayan Katha: जानें कौन थे संपाती जिन्होंने हनुमान जी को बताया था माता सीता का पता

    By Shilpa SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 26 Sep 2020 12:24 PM (IST)

    Ramayan Katha रावण कितना शक्तिशाली था ये तो हम सभी जानते हैं। उसकी शक्तियों के चलते उसका अंहकार बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। वह खुद को सबसे ज्यादा बलशाली ...और पढ़ें

    जानें कौन थे संपाती जिन्होंने हनुमान जी को बताया था माता सीता का पता
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    Ramayan Katha: रावण कितना शक्तिशाली था ये तो हम सभी जानते हैं। उसकी शक्तियों के चलते उसका अंहकार बहुत ज्यादा बढ़ चुका था। वह खुद को सबसे ज्यादा बलशाली मानने लगा था। हर चीज पर अपना आधिपत्य हासिल करना रावण का एक मात्र लक्ष्य रहता था। जब रावण माता सीता को अगवा कर लंका ले जा रहा था। तब श्री राम और लक्ष्मण बहुत परेशान हो गए थे। जब श्री राम और लक्ष्मण माता सीता को ढूंढ रहे थे तब एक पक्षी माता सीता का पता उन्हें बताती है। आज यहां हम आपको इसी पक्षी के बारे में बताने जा रहे हैं।

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    जब रावण माता सीता को अपहरण कर ले जा रहा था। तब वो खुद को मुक्त करने के लिए काफी कोशिशें कर रही थीं। तब एक गरुण ने जिसका नाम जटायु था, रावण को रोकने की कोशिश की। वो रावण से युद्ध करने लगा। सीता माता को बचाने के लिए जटायु ने रावण पर आक्रमण कर दिया। लेकिन रावण ने उसके पंख काट दिए। इससे जटायु जमीन पर आ गिरे और मृत्यु से पहले उसने श्री राम और लक्ष्मण को यह बताया कि रावण माता सीता को ले गया है। पौराणिक कथा के अनुसार, संपाती नाम के एक पक्षी जटायु के भाई थे। जटायु और संपाती, अरुण नाम के देवपक्षी की संतान थे।

    माता सीता का पता संपाती ने ही बताया था। जब जामवंत, अंगद, हनुमान आदि हर कोई सीता माता को ढूंढ रहा था। तब उन्हें रास्ते में एक विशालकाय पक्षी जिसके पंख नहीं थे नजर आया। ये संपाती ही थे। संपाती उन्हें खाना चाहते थे। लेकिन जब जामवंत ने उन्हें संपाती को रामव्यथा सुनाई। साथ ही जामवंत और अंगद आदि ने जटायु की मृत्यु की खबर भी दी। यह सुन संपाती अत्यंत दुखी हुआ। फिर हनुमान जी ने संपाती को पूरी घटना की जानकारी दी। जटायु की मृत्यु की खबर सुन संपाती ने अपनी नजरों को घुमाना शुरू किया। उनकी नजरें बहुत तेज थी। वह बहुत दूर-दूर तक सटीक देख पाते थे।

    अपने नजरों से उन्होंने जो देखा वो हनुमान जी को बता दिया। संपाती ने हनुमानजी और जांमवंत को बताया कि रावण माता सीता को लंका ले गया है। यह सुन हनुमान जी ने श्री राम को यह समाचार दिया और फिर लंका पर चढ़ाई की तैयारी शुरू की।