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    Ramayan: क्या आप जानते हैं राम जी की बहन के विषय में? अयोध्या नहीं बल्कि यहां की बनी थीं राजकुमारी

    Updated: Thu, 25 Jul 2024 02:05 PM (IST)

    रामायण और रामचरितमानस दोनों ही हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण ग्रंथ रहे हैं। इसमें वर्णित भगवान राम समेत चार भाई लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न के बारे में तो सभी जानते होंगे। इसके अलावा सीता लक्ष्मण हनुमान और रावण आदि भी रामायण के प्रमुख पात्र रहे हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि भगवान राम की एक बहन भी थी जिसका वर्णन रामायण में भी मिलता है।

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    Ram ji ki behen क्या आप जानते हैं राम जी की बहन के बारे में?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान राम, राजा दशरथ और माता कौशल्या के पुत्र थे। लेकिन कम ही लोग जानते हैं कि राम जी के अलावा राजा दशरथ और देवी कौशल्या की एक पुत्री भी थी। रामायण महाकाव्य राम जी की बहन का जिक्र बहुत कम किया गया है। आइए जानते हैं उनके विषय में।

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    कौन थीं बहन

    भगवान राम की एक बहन का नाम शांता था, जो चारों भाइयों में सबसे बड़ी थीं। वह राजा दशरथ और देवी कौशल्या की पुत्री थीं। शांता बहुत ही बुद्धिमान होने के साथ-साथ वेद, कला और शिल्प में पारंगत थीं। साथ ही वह बहुत ही सुंदर भी थीं। ऐसा माना जाता है कि उन्हें गोद दे दिया गया था। जिसका रामायण में भी मिलता है।

    शांता से जुड़ी कथा

    शांता को लेकर अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। ऐसा कहा जाता है कि, एक बार अंगदेश के राजा रोमपद अपनी पत्नी रानी वर्षिणी के साथ अयोध्या आए। वर्षिणी, कौशल्या की बहन थी। उन दोनों के कोई संतान नहीं थी और वह इसे लेकर बहुत परेशान थे। जब इस बात का पता राजा दशरथ को चला तो उन्होंने अपनी पुत्री शांता को उन्हें गोद देने का निर्णय लिया। राजा दशरथ की यह बात सुनकर रोमपद और वर्षिणी बहुत खुश हुए। इसके बाद उन्होंने बड़े ही प्रेम के साथ शांता का पालन-पोषण किया और शांता अंग देश की राजकुमारी बन गई।

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    किससे हुआ विवाह

    भगवान श्रीराम की बड़ी बहन शांता का विवाह ऋषि श्रृंग से हुआ था। जिसके पीछे भी एक कथा मिलती है जिसके अनुसार, एक दिन राजा रोमपद अपनी पुत्री शांता से कुछ बात कर रहे थे, तभी उनके द्वार पर एक ब्राह्मण आया और उसने खेतों की जुताई में राज दरबार की ओर से कुछ मदद की मांग की। लेकिन राजा अपनी पुत्री शांता के साथ बातचीत में इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ब्राह्मण की बात पर ध्यान नहीं दिया।

    जिससे वह निराश होकर वापस लौट गया। वह ब्राह्मण इंद्रदेव का भक्त था, इसलिए उसकी ये हालत देखकर इंद्रदेव क्रोधित हो गए और उन्होंने अंगदेश में पर्याप्त वर्षा नहीं की। इस कारण राज्य में सूखा पड़ा गया। तब राजा ने वर्षा कराने हेतु यज्ञ करने के लिए ऋषि श्रृंग को बुलाया। यज्ञ परिणामस्वरूप राज्य में वर्षा हुई। तब राजा ने प्रसन्न होकर ऋषि श्रृंग से अपनी पुत्री शांता के विवाह का निर्णय किया।

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।