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    Ramadan 2025: बहुत ही खास सबक देता है रमजान का महीना, गहरा है इसका अर्थ

    Updated: Wed, 12 Mar 2025 01:04 PM (IST)

    रमजान के महीने में यह सुनिश्चित किया जाता है कि व्यक्ति अपना ज्यादा-से-ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में गुराजें और नेक काम करे। इस्लाम धर्म में रमजान के महीने को बहुत ही महत्व दिया गया है। ऐसे में चलिए रमजान के खास मौके पर जानते हैं प्रोफेसर वसीम बरेलवी जी के विचार जो एक अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शायर भी हैं।

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    Ramadan 2025 रमजान की अहमियत (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रमजान का पाक (Ramadan 2025) महीना चल रहा है, जो इस्लामी चंद्र कैलेंडर के मुताबिक नौवा महीना होता है। यह महीना 29 या फिर 30 दिनों तक चलता है, जिसमें रोजा रखा जाता है। रोजे में सूर्योदय के बाद से कुछ खाया और पिया नहीं जाता।

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    सूरज ढलने के बाद रोजा खोला जाता है, जिसे इफ्तारी कहते हैं। रमजान का महीना शरीर के साथ-साथ आत्मा को भी शुद्ध करने का काम करता है। भारत में इस पाक महीने की शुरुआत 02 मार्च 2025 से हो चुकी है।

    मिलते हैं ये फायदे

    रोजा खुद को सर (जीतने) करने की वो प्रक्रिया है, जो खुदसरी (अहम को अधिकता) को अर्थहीन बनाने की क्षमता रखती है। खुदा को खुश करने, उसकी निकटता प्राप्त करने का ऐसा माध्यम है, जो रोजेदार को आत्मचिंतन और आत्ममंथन के लिए प्रेरित करता है। पूर्ण सामर्थ्य के साथ अपनी कमजोरियों, अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण लगाने से मनुष्य का रूहानी पक्ष मजबूत होता है।

    ये है असली मतलब

    इस एक महीने की साधना ऐसी सहनशीलता पैदा कर देती है कि रोजेदार हर तरह की नकारात्मकता से लोहा लेने में सक्षम हो जाता है। त्याग, समर्पण, तपस्या प्रधान रमजान महीना केवल खाने-पीने से अपने आप को वंचित कर लेना भर नहीं, बल्कि इंद्रियों की सरकशियों (हद से गुजर जाने) से संघर्ष करने और काबू रखने का अमल भी है, जोकि मनुष्य को दर्दमंद और खुदा तरस (नेक व्यक्ति) बनाने में सहायता करता है।

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    रमजान देता है ये सबक

    रमजान, हमें समाज के कमजोर और महरूम तबके की सहायता को विवश करता है। यह पवित्र महीना पाप और पुण्य का सबक देता है। यह आप पर आपकी वास्तविकता प्रदर्शित करता है। ईश्वर से मेरा (वसीम बरेलवी जी) कहना है, 'मुझे यह खौफ दे मालिक, मुझी पर है नजर तेरी, बस इतना ही नहीं काफी के सजदा कर लिया मैंने।'

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    करें ये काम

    रमजान के दौरान दान को बड़ी अहमियत दी गई है, इसलिए हर व्यक्ति को अपनी हैसियत के मुताबिक रमजान में दान जरूर करना चाहिए। साथ ही रमजान में दिन में पांच बार नमाज पढ़ने का भी विधान है। इस समय में अधिक-से-अधिक समय अल्लाह के इबादत में गुजारें और नेक काम करें। इस सभी बातों का ध्यान रखने से अल्लाह खुश होते हैं और बरकत बनाएं रखते हैं।