Ramadan 2025: रमजान में कश्मीर में भारतीय संस्कृति का पुनर्जागरण
रमजान के महीना को समाप्त होने में कुछ ही दिन रह गए हैं। यह पाक महीना मुस्लिम समुदाय के लिए बहुत खास होता है। इस दौरान लोग नमाज पढ़ते हैं और अल्लाह की खूब इबादत करते हैं। साथ ही लोगों की मदद की करते हैं। वहीं इस माह (Ramadan 2025 Guidelines) को लेकर कई सारे नियम बनाए गए हैं जिनका पालन सभी को करना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रमजान का पाक महीना, भारतीय संस्कृति की विविधता और कश्मीर की समृद्ध परंपराएं, ये सब मिलकर एक ऐसा माहौल रचते हैं, जो दुनिया के किसी भी कोने में शायद ही देखने को मिले। जब सुबह की अजान के वक्त से सेहरी का आगाज होता है और शाम को इफ्तार की रौनक से रोजा मुकम्मल होती है, तब सिर्फ इबादत ही नहीं, बल्कि समाज में भाईचारे का नया अध्याय भी लिखा जाता है।
फिरदौस बाबा (संस्थापक अध्यक्ष, कश्मीर सेवा संघ) बताते हैं कि भारत, जहां हर मजहब, हर परंपरा और हर त्यौहार एक-दूसरे में घुलमिल जाते हैं, वहां रमजान महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एकता और सौहार्द का प्रतीक भी है।
रमजान में मस्जिदों की रौनक
यही तो इस देश की आत्मा है। कश्मीर, जिसे कभी जन्नत कहा जाता था, अब फिर से उसी मुकाम पर लौट रहा है। एक समय था जब घाटी सिर्फ सियासी बहसों और तनाव की खबरों में सुर्खियां बटोरती थी, लेकिन आज यहां बदलाव की नई बयार बह रही है।
रमजान में मस्जिदों की रौनक, बाजारों की चहल-पहल लौट आई है। सेहरी-इफ्तार के आयोजनों में हर मजहब के लोग शरीक हो रहे हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि कश्मीर न सिर्फ भारत का अभिन्न अंग है, बल्कि उसकी सांस्कृतिक धरोहर का चमकता सितारा भी है।
कब मनाई जाएगी ईद-उल-फितर? ( Kab Hai Eid Ul Fitr 2025?)
ईद की डेट रमजान के खत्म होने के बाद दिखने वाले चांद के आधार पर तय होती है। इसलिए चांद दिखने के बाद ईद की सही तारीख निर्धारण इस्लामी विद्वानों और धार्मिक संस्थाओं द्वारा किया जाता है। आपको बता दें कि इस साल भारत में रमजान की शुरुआत 2 मार्च से हुई थी, जो 29 या 30 दिनों चलता है। ऐसे में इस बार भारत में ईद-उल-फितर 31 मार्च या फिर 01 अप्रैल को मनाए जाने की उम्मीद है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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