Ramadan 2025: अल्लाह के साथ रिश्ते को गहरा करने की कोशिश है रमजान
रमजान (Ramadan 2025) के पूरे महीने रोजा रखा जाता है जिसे हर मुसलमान का फर्ज माना गया है। माना जाता है कि इस महीने में नेक काम करने और जरूरतमंदों की मदद व दान आदि करने से अल्लाह खुश होते हैं। इस्लाम धर्म की मान्यताओं के अनुसार खुद को अल्लाह से जोड़ने का रमजान से बेहतर कोई मौका नहीं है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। इस्लाम धर्म में रमजान को बहुत ही पाक महीना माना जाता है। इस्लामी मान्यताओं के मुताबिक इस महीने में नमाज पढ़कर अल्लाह की इबादत करना, रोजा रखना, नेकी के काम करना और जरूरमंंद लोगों को जकात यानी दान देने की बहुत ज्यादा अहमियत मानी गई है।
माना जाता है कि इन सभी बातों का ध्यान रखने से रमजान का पाक महीना खुदा के नेक बंदे के लिए बरकत लेकर आता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आतिफ रशीद जी (पूर्व उपाध्यक्ष, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग) के रमजान के इस खास मौके पर क्या विचार हैं।
अल्लाह के साथ गहरा होता है रिश्ता
रमजान एक पवित्र और आध्यात्मिक माह है। इस महीने में, मुसलमान रोजा रखते हैं, जिसमें दिनभर भूखा और प्यासा रहकर उपवास करना होता है। यह महीना मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है, जिसमें वे अपने आध्यात्मिक जीवन को मजबूत करने और अल्लाह के साथ अपने रिश्ते को गहरा करने की कोशिश करते हैं।
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रमजान में क्या करें
रमजान के मुबारक महीने की खास इबादत रोजा रखने से, मुसलमान को अपने आप पर नियंत्रण रखने, अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करने और अपने शरीर को स्वस्थ रखने का अवसर मिलता है। रोजे की हालत में खाने-पीने की पाबंदी के साथ-साथ हर बुराई से रोजा होना होता है।
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कैसे अदा करें फिरता
रोजा रखने से मुसलमानों को यह भी सीखने को मिलता है कि कैसे गरीब और जरूरतमंदों की मदद करनी है इसलिए इस महीने का इनाम अल्लाह की तरफ से उसके खत्म होने पर ईद है और ईद के लिए फितरा है।
हर मुसलमान को अपनी बस्ती के गरीब के घर फितरा यानी दान देना लाजमी कर दिया गया है। फितरा लगभग दो किलो आटा या इतनी ही किशमिश या इतनी ही खजूर की कीमत लगा कर घर के हर सदस्य की तरफ से अदा किया जाना होता है।
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