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    Ram Naam ka Arth: जानिए राम नाम की महिमा, कई अर्थ छिपे हैं इस दो अक्षर के नाम में

    Updated: Fri, 19 Jan 2024 10:31 AM (IST)

    Meaning of the name Ram हिंदू धर्म में प्रभु श्री राम साक्षात् भगवान नारायण के मानव अवतार माना गया है। “राम” यह दो अक्षर का नाम कोई साधारण नाम नहीं है बल्कि इसके पीछे कई बड़े-बड़े और गूढ़ अर्थ छिपे हुए हैं। कहा भी जाता है कि राम से बढ़ा राम का नाम। ऐसे में आइए जानते हैं राम नाम का अर्थ।

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    Ram Naam ka Arth: जानिए राम नाम का अर्थ।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Ram naam ka matlab: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जिस घर में राम जी की श्रद्धापूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है, उस घर में सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। दो अक्षर के राम नाम के कई अर्थ हैं। अलग-अलग धर्म ग्रंथों में नाम की अलग-अलग तरीके से व्याख्या की गई है। हिंदू धर्म में राम को केवल एक नाम नहीं, बल्कि एक महामंत्र माना गया है, जिसका जाप करने से व्यक्ति को समस्त दुखों से मुक्ति मिल सकती है।

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    इस श्लोक में मिलता है अर्थ

    तैत्तरीय आरण्यक नामक ग्रंथ में दिए गए एक श्लोक के अनुसार, राम शब्द का अर्थ होता है पुत्र राम। वहीं, ब्रह्मण संहिता में कहा गया है कि राम नाम का अर्थ है - जो सभी जगह राम हुआ है। आप इस बात का वर्णन इस श्लोक में देख सकते हैं - 'रमन्ते सर्वत्र इति रामः।'

    राम नाम की महिमा

    शास्त्रों में ऐसे कई श्लोक मिलते हैं, जिसमें राम नाम के अर्थ और महिमा का वर्णन किया गया है। शास्त्रों में निहित एक श्लोक के अनुसार, “रमन्ते योगिनः अस्मिन सा रामं उच्यते”। जिसका अर्थ है कि योगी ध्यान में जिस शून्य में रमते हैं उसे राम कहते हैं।

    ये भी है एक अर्थ

    कई विद्वानों ने राम नाम का अर्थ मनोज्ञ भी माना है। यहां मनोज्ञ का अर्थ है - जो मन को जानने वाला हो। वहीं, कई व्याख्याकारों ने राम नाम का अर्थ बताया है कि जो आनंद लेने वाला हो या फिर जो संतुष्टि देने वाला हो वही राम है।

    यह भी पढ़ें - Guru Gobind Singh Jayanti 2024: दशम गुरु श्री गोबिंद सिंह साहिब की 'राम अवतार' वीर रस पर आधारित कृति है

    संधि विच्छेद से जानें अर्थ

    राम नाम का संधि विच्छेद किया जाए तो इस प्रकार अर्थ निकलता है - र+आ+म

    • “र” से रसातल
    • “आ” से आकाश
    • “म” से मृत्यु लोक

    अर्थात जो पाताल, आकाश और धरती का स्वामी है वही राम है। वहीं संस्कृत की दृष्टि से देखा जाए तो, रम् धातु में घम प्रत्यय जोड़कर राम बना है। यहां रम् का अर्थ है रमण, रमना या निहित होना, निवास करना और घम का अर्थ है ब्रह्माण का खाली स्थान। इस प्रकार राम का अर्थ पूरे ब्रह्मांड में निहित या रमा हुआ तत्व अर्थात स्वयं ब्रह्म।

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