Raksha Bandhan 2025: प्रेम, विश्वास और आत्मिक सुरक्षा का दिव्य पर्व है रक्षाबंधन
रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2025) भारतीय संस्कृति का एक पवित्र बंधन है जो भाई-बहन के प्रेम के साथ धर्म आत्मिक सुरक्षा और पवित्रता का प्रतीक है। यह त्योहार सावन माह की पूर्णिमा को मनाया जाता है। इस दिन बहन भाई को तिलक लगाकर आत्म-स्मृति दिलाती है। राखी सिर्फ धागा नहीं बल्कि भावनात्मक वचन है जो भाई को सशक्त बनाता है। राखी रक्षा मर्यादा और आत्म-सम्मान की रक्षा का वचन है।

दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। राखी सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा को प्रकट करने वाला एक पवित्र धार्मिक बंधन है। इसका संबंध केवल भाई-बहन के प्रेम से नहीं, बल्कि धर्म, आत्मिक सुरक्षा और पवित्रता के संकल्प से भी जुड़ा हुआ है। हिंदू धर्म में रक्षा बंधन का गहरा आध्यात्मिक महत्व है। यह त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब ईश्वरीय कृपा विशेष रूप से सक्रिय मानी जाती है। 'रक्षा' का अर्थ केवल बाहरी सुरक्षा नहीं, बल्कि आत्मा की रक्षा, सद्गुणों की रक्षा और मर्यादाओं की रक्षा भी होता है।
इस दिन (Raksha Bandhan 2025) बहन जब भाई को तिलक लगाती है, तो वह उसे आत्म-स्मृति दिलाती है कि वह केवल शरीर नहीं, एक अमर आत्मा है जिसे अपने कर्म, विचार और व्यवहार से जीवन को सुंदर बनाना है।
रक्षाबंधन: प्रेम, विश्वास और आत्म-स्मृति का प्रतीक
राखी कोई साधारण धागा नहीं यह एक भावनात्मक वचन है। जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह यह नहीं कहती कि "तू मेरी रक्षा कर", बल्कि वह यह जताती है कि "मैं तुझ पर विश्वास करती हूं"। यह विश्वास ही भाई को सशक्त बनाता है।
राखी बांधते समय बहन तिलक करती है यह सिर्फ शुभ चिन्ह नहीं, बल्कि आत्मा की पहचान का प्रतीक है। मिठाई खिलाती है। ताकि, भाई का व्यवहार हमेशा मधुर बना रहे। हर बहन चाहती है कि भाई बाहरी शत्रुओं से ही नहीं, अपने भीतर की बुराइयों से भी लड़कर विजयी बने।
ऐतिहासिक प्रसंगों से मिलती है प्रेरणा
इतिहास में भी रक्षा बंधन के गहरे उदाहरण मिलते हैं। जैसे माता लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधी थी और द्रौपदी ने श्रीकृष्ण को। ये प्रसंग हमें यह सिखाते हैं कि राखी सिर्फ भाई-बहन के खून के रिश्ते तक सीमित नहीं यह रक्षा, मर्यादा और आत्म-सम्मान की रक्षा का वचन है, जो हर इंसान एक-दूसरे को दे सकता है।
इस प्रकार, राखी केवल एक धागा नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संबंधों को जोड़ने वाला एक दिव्य सूत्र है जो हमें याद दिलाता है कि सच्ची रक्षा वही है, जो आत्मा की रक्षा करे।
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लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।
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