Rahu Gochar 2025: इस दिन से राहु कर चुके हैं कुंभ राशि में गोचर, जानिए किन दो राशियों को मिलेगा लाभ
18 मई को राहु ग्रह कुंभ राशि में गोचर (Rahu Gochar 2025) कर चुके हैं। यह गोचर शाम को 07 बजकर 35 मिनट पर हुआ था। इसका प्रभाव कुछ राशियों पर सकारात्मक रूप से देखने को मिलने वाला है। ऐसे में चलिए ऐस्ट्रॉलजर आनंद सागर पाठक जी (astropatri.com) से जानते हैं कि किन राशियों को राहु गोचर से लाभ मिलने वाला है।
आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। वर्तमान में राहु देव मीन राशि में गोचर कर रहे हैं तथा पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में स्थित हैं। यह नक्षत्र बृहस्पति देव के आधिपत्य में आता है। 18 मई 2025 को राहु देव कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे, किंतु तब भी वे पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में ही स्थित रहेंगे।
इसके बाद, 25 नवम्बर 2025 को राहु देव शतभिषा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जो स्वयं राहु देव के ही स्वामित्व वाला नक्षत्र है। इस समय के दौरान राहु देव की शक्ति अत्यंत प्रबल रहेगी और वे अपने कारकत्वों के अनुसार परिणाम देने में सक्षम होंगे।
मिलेंगे ये परिणाम
राहु देव यहां लगभग 9 माह तक स्थित रहेंगे, इसके उपरांत वे धनिष्ठा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जिसका स्वामी मंगल देव हैं। चूंकि राहु और मंगल देव के बीच शत्रुता मानी जाती है, इसलिए इस काल में राहु देव की स्थिति से उत्पन्न विपरीत परिणाम, शुभताओं पर हावी हो सकते हैं। वहीं दूसरी ओर, केतु देव इस समय कन्या राशि में उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में स्थित हैं।
इस राशि पर होगा प्रभाव
18 मई 2025 को केतु देव सिंह राशि में प्रवेश करेंगे, किंतु वे 20 जुलाई 2025 को पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे, जिसका स्वामी शुक्र देव हैं। इसके पश्चात अगले वर्ष, 29 मार्च 2026 को केतु देव मघा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। यह नक्षत्र स्वयं केतु देव के अधीन होता है, जिससे यह समय उनके लिए आत्मबल और परिणाम देने की दृष्टि से अत्यंत प्रभावकारी हो सकता है।
कुंभ राशि में राहु देव
राहु देव को कुंभ राशि में अत्यंत स्वाभाविक और अनुकूल अनुभव होता है। इस राशि के सह-स्वामी स्वयं राहु देव माने जाते हैं। राहु देव मोह, भ्रांतियों, सीमाओं को तोड़ने, भविष्यवादी सोच, विदेशी तत्वों तथा विद्रोही प्रवृत्तियों के प्रतीक माने जाते हैं। कुंभ राशि स्वयं अपारंपरिक चिंतन, सामूहिकता (जैसे समूह में कार्य करना), नवाचार, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे भविष्यमुखी विषयों एवं सामाजिक सरोकारों से जुड़ी होती है।
जैसे ही राहु देव इस वर्ष के अंत में अपने ही नक्षत्र शतभिषा में प्रवेश करेंगे, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence) या ऐसी किसी अन्य तकनीकी क्रांति से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाएं घट सकती हैं।
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सिंह राशि में केतु देव
यह स्थिति अत्यंत तीव्र और उग्र मानी जाती है, क्योंकि केतु देव स्वयं एक अग्नितत्व प्रधान ग्रह हैं और सिंह राशि भी अग्नि तत्व की ही एक प्रमुख राशि है। हालाँकि, यह स्थान एक आंतरिक विरोधाभास भी उत्पन्न करता है। केतु देव का स्वरूप वैराग्य, त्याग, अहं के विसर्जन और आत्म-निवृत्ति से जुड़ा है, जबकि सिंह राशि आत्म-प्रदर्शन, अहंभाव, नेतृत्व और पहचान के उत्कर्ष की प्रतीक मानी जाती है।
ऐसे में सिंह राशि में केतु देव का गोचर आत्मविश्वास में किसी प्रकार की गिरावट ला सकता है, किन्तु यह अवस्था व्यक्ति को अपने जीवन का उद्देश्य, नेतृत्व की शैली और पहचान को बिना बाहरी मान्यता या प्रशंसा के पुनर्परिभाषित करने की ओर भी प्रेरित कर सकती है।
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(अगर आप श्री आनंद सागर पाठक को कोई फीडबैक देना चाहते हैं तो hello@astropatri.com पर ईमेल कर सकते हैं।)
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