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    Radha Mantra: भगवान कृष्ण की पूजा के समय करें इन मंत्रों का जप, पूरी होगी मनचाही मुराद

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 18 Mar 2025 01:37 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो बुधवार के दिन भगवान कृष्ण और राधा रानी (Radha Mantra) की पूजा करने से न केवल ग्रहों के राजकुमार बुध देव प्रसन्न होते हैं बल्कि कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों के प्रभाव भी समाप्त हो जाते हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में राधा रानी एवं कृष्ण कन्हैया की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

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    Radha Mantra: भगवान कृष्ण को कैसे प्रसन्न करें? (Pic Credit-Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। बुधवार का दिन जगत के पालनहार भगवान कृष्ण को प्रिय है। इस दिन भगवान कृष्ण और जगत की देवी श्रीराधा रानी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनोवांछित फल के लिए उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता। धार्मिक मत है कि जगत के पालनहार भगवान कृष्ण की कृपा से साधक की हर एक मनोकामना पूरी होती है। इसके साथ ही जीवन में व्याप्त दुखों का नाश होता है।

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    इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा करते हैं। ज्योतिष भी मनचाहा वरदान पाने के लिए भगवान कृष्ण की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी राधा रानी की कृपा पाना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन भक्ति भाव से भगवान कृष्ण की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय राधा रानी के नामों का जप करें।

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    राधा जी के 108 नाम

    1. ॐ श्रीराधायै नम:
    2. ॐ राधिकायै नम:
    3. ॐ जीवायै नम:
    4. ॐ जीवानन्दप्रदायिन्यै नम:
    5. ॐ नन्दनन्दनपत्न्यै नम:
    6. ॐ वृषभानुसुतायै नम:
    7. ॐ शिवायै नम:
    8. ॐ गणाध्यक्षायै नम:
    9. ॐ गवाध्यक्षायै नम:
    10. ॐ जगन्नाथप्रियायै नम:
    11. ॐ किशोर्यै नम:
    12. ॐ कमलायै नम:
    13. ॐ कृष्णवल्लभायै नम:
    14. ॐ कृष्णसंयुतायै नम:
    15. ॐ वृन्दावनेश्वर्यै नम:
    16. ॐ कृष्णप्रियायै नम:
    17. ॐ मदनमोहिन्यै नम:
    18. ॐ श्रीमत्यै कृष्णकान्तायै नम:
    19. ॐ कृष्णानन्दप्रदायिन्यै नम:
    20. ॐ यशस्विन्यै नम:
    21. ॐ यशोगम्यायै नम:
    22. ॐ यशोदानन्दवल्लभायै नम:
    23. ॐ दामोदरप्रियायै नम:
    24. ॐ गोकुलानन्दकर्त्र्यै नम:
    25. ॐ गोकुलानन्ददायिन्यै नम:
    26. ॐ गतिप्रदायै नम:
    27. ॐ गीतगम्यायै नम:
    28. ॐ गमनागमनप्रियायै नम:
    29. ॐ विष्णुप्रियायै नम:
    30. ॐ विष्णुकान्तायै नम:
    31. ॐ विष्णोरंकनिवासिन्यै नम:
    32. ॐ यशोदानन्दपत्न्यै नम:
    33. ॐ यशोदानन्दगेहिन्यै नम:
    34. ॐ कामारिकान्तायै नम:
    35. ॐ कामेश्यै नम:
    36. ॐ कामलालसविग्रहायै नम:
    37. ॐ जयप्रदायै नम:
    38. ॐ जयायै नम:
    39. ॐ गोप्यै नम:
    40. ॐ गोपानन्दकर्यै नम:
    41. ॐ कृष्णांगवासिन्यै नम:
    42. ॐ हृद्यायै नम:
    43. ॐ चित्रमालिन्यै नम:
    44. ॐ विमलायै नम:
    45. ॐ दु:खहन्त्र्यै नम:
    46. ॐ मत्यै नम:
    47. ॐ धृत्यै नम:
    48. ॐ लज्जायै नम:
    49. ॐ कान्त्यै नम:
    50. ॐ पुष्टयै नम:
    51. ॐ गोकुलत्वप्रदायिन्यै नम:
    52. ॐ केशवायै नम:
    53. ॐ केशवप्रीतायै नम:
    54. ॐ रासक्रीडाकर्यै नम:
    55. ॐ रासवासिन्यै नम:
    56. ॐ राससुन्दर्यै नम:
    57. ॐ हरिकान्तायै नम:
    58. ॐ हरिप्रियायै नम:
    59. ॐ प्रधानगोपिकायै नम:
    60. ॐ गोपकन्यायै नम:
    61. ॐ त्रैलोक्यसुन्दर्यै नम:
    62. ॐ वृन्दावनविहारिण्यै नम:
    63. ॐ विकसितमुखाम्बुजायै नम:
    64. ॐ पद्मायै नम:
    65. ॐ पद्महस्तायै नम:
    66. ॐ पवित्रायै नम:
    67. ॐ सर्वमंगलायै नम:
    68. ॐ कृष्णकान्तायै नम:
    69. ॐ विचित्रवासिन्यै नम:
    70. ॐ वेणुवाद्यायै नम:
    71. ॐ वेणुरत्यै नम:
    72. ॐ सौम्यरूपायै नम:
    73. ॐ ललितायै नम:
    74. ॐ विशोकायै नम:
    75. ॐ विशाखायै नम:
    76. ॐ लवंगनाम्न्यै नम:
    77. ॐ कृष्णभोग्यायै नम:
    78. ॐ चन्द्रवल्लभायै नम:
    79. ॐ अर्द्धचन्द्रधरायै नम:
    80. ॐ रोहिण्यै नम:
    81. ॐ कामकलायै नम:
    82. ॐ बिल्ववृक्षनिवासिन्यै नम:
    83. ॐ बिल्ववृक्षप्रियायै नम:
    84. ॐ बिल्वोपमस्तन्यै नम:
    85. ॐ तुलसीतोषिकायै नम:
    86. ॐ गजमुक्तायै नम:
    87. ॐ महामुक्तायै नम:
    88. ॐ महामुक्तिफलप्रदायै नम:
    89. ॐ प्रेमप्रियायै नम:
    90. ॐ प्रेमरुपायै नम:
    91. ॐ प्रेमभक्तिप्रदायै नम:
    92. ॐ प्रेमक्रीडापरीतांग्यै नम:
    93. ॐ दयारुपायै नम:
    94. ॐ गौरचन्द्राननायै नम:
    95. ॐ कलायै नम:
    96. ॐ शुकदेवगुणातीतायै नम:
    97. ॐ शुकदेवप्रियायै सख्यै नम:
    98. ॐ रतिप्रदायै नम:
    99. ॐ चैतन्यप्रियायै नम:
    100. ॐ सखीमध्यनिवासिन्यै नम:
    101. ॐ मथुरायै नम:
    102. ॐ श्रीकृष्णभावनायै नम:
    103. ॐ पतिप्राणायै नम:
    104. ॐ पतिव्रतायै नम:
    105. ॐ सकलेप्सितदात्र्यै नम:
    106. ॐ कृष्णभार्यायै नम:
    107. ॐ श्यामसख्यै नम:
    108. ॐ कल्पवासिन्यै नम:

    राधा नाम जप के लाभ

    जग की देवी श्रीराधा रानी के शरण में रहने वाले साधकों को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में निहित है कि राधा नाम के जप से जीवन में आने वाली बलाएं भी टल जाती हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।