Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pradosh Vrat 2025 Date: शनि प्रदोष व्रत पर इस समय करें भगवान शिव की पूजा, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 05 Jan 2025 08:28 PM (IST)

    ज्योतिषियों की मानें तो प्रदोष व्रत (Shani Trayodashi 2024) पर भगवान शिव की पूजा-उपासना करने से कुंडली में व्याप्त अशुभ ग्रहों का प्रभाव समाप्त हो जाता है। साथ ही शनि की बाधा से भी मुक्ति मिलती है। इसके लिए प्रदोष व्रत पर विधि विधान से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस अवसर पर मंदिरों में शिव पूजा का विशेष आयोजन किया जाता है।

    Hero Image
    Pradosh Vrat 2025: कब है शनि प्रदोष व्रत?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 11 जनवरी को पौष महीने का अंतिम प्रदोष व्रत है। यह पर्व हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा। इस दिन भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही दुखों से मुक्ति पाने के लिए साधक शिव-शक्ति के निमित्त व्रत रखते हैं। शनि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025 Date) करने से निसंतान दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। भक्तजनों की हर मनोकामना महादेव की कृपा से पूरी होती है। ज्योतिषियों की मानें तो शनि प्रदोष व्रत पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक को पृथ्वी लोक पर सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी।  

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: कब है पौष पुत्रदा एकादशी? नोट करें शुभ मुहूर्त एवं योग

    शुभ मुहूर्त

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी (Shani Trayodashi 2025) तिथि की शुरुआत 11 जनवरी को सुबह 08 बजकर 21 मिनट पर होगी और 12 जनवरी को सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि से गणना की जाती है। अतः 11 जनवरी को पौष माह का अंतिम प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।

    ब्रह्म योग

    पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सबसे पहले शुक्ल योग का संयोग है। इस योग का समापन 11 बजकर 49 मिनट पर होगा। ज्योतिष शुक्ल को शुभ मानते हैं। इस योग में शिव शक्ति संग शनिदेव की पूजा कर सकते हैं। इसके बाद ब्रह्म योग का संयोग बनेगा। ब्रह्म योग का योग रात्रि भर है। प्रदोष व्रत पर संध्याकाल में शिव-शक्ति जी की पूजा की जाती है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से सुख, धन-संपत्ति में वृद्धि होगी।

    शनि प्रदोष व्रत पर शिववास योग का भी संयोग है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव प्रातः काल 08 बजकर 21 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। इस समय में भगवान शिव का अभिषेक करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।

    यह भी पढ़ें: मेष से लेकर मीन तक वार्षिक राशिफल 2025

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

    comedy show banner
    comedy show banner