Pongal 2024: क्यों इतनी खास है पोंगल पर बनने वाली खीर, जानिए इसका धार्मिक कारण
Pongal 2024 पोंगल के पर्व को तमिल नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की इस घटना को दक्षिण भारत में पोंगल का उत्सव मनाया जाता है। पोंगल पर्व के दूसरे दिन खीर बनाई जाती है जिसे पोंगल खीर (Pongal Kheer) भी कहते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Pongal 2024 Date: पोंगल का पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारत के राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक और मुख्य रूप से तमिलनाडु में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। चार दिनों तक चलने वाला पोंगल का उत्सव भगवान सूर्यदेव और कृषि को समर्पित माना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं पोंगल पर बनाई जाने वाली खीर का महत्व।
इसलिए बनती है खीर (Pongal Kheer significance)
पोंगल के दूसरे दिन यानी थाई पोंगल के दिन बड़े से मिट्टी के बर्तन में नई फसल के चावल से खीर बनाई जाती है। साथ ही इस खीर में कच्चा दूध, गुड़, सूखे मेवे आदि भी शामिल किए जाते हैं। पोंगल की खीर को खुले में पकाने की परम्परा है।
पोंगल के विशेष दिन पर बनाई जाने वाली खीर का सबसे पहले भगवान सूर्यदेव को भोग लगाया जाता है। इसके साथ ही सूर्यदेव को अच्छी फसल के लिए आभार प्रकट किया जाता है। इसके बाद लोग उस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। माना जाता है कि खीर का भोग लगाने से भगवान सूर्यदेव की कृपा साधक पर बनी रहती है, जिससे उनकी सारी मनोकामना पूरी होती हैं।
यह भी है मान्यता
तमिल कैलेण्डर के अनुसार, पोंगल का पर्व नए महीने के पहले दिन मनाया जाने वाला पर्व है। एक खास परम्परा के मुताबिक पोंगल का पर्व मनाते समय, लोग बर्तन में दूध को तब तक उबलात हैं, जब तक वह उस मिट्टी के पात्र से बाहर न गिरने लगे। इस प्रक्रिया को सुख-समृद्धि से जोड़कर देखा जाता है। खीर के अलावा सूर्यदेव को प्रसाद के रूप में गन्ना, केला व नारियल आदि भी चढ़ाया जाता है, जिससे साधक के जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
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