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    Skanda Sashti 2024: स्कंद षष्ठी के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती, धन-धान्य से भर जाएगा भंडार

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 16 Jan 2024 07:00 AM (IST)

    Skanda Sashti 2024 शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रु का नाश होता है। साथ ही घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान कार्तिकेय की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो स्कंद षष्ठी पर विधि-विधान से मुरुगन की पूजा करें।

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    Skanda Sashti 2024: स्कंद षष्ठी के दिन पूजा के समय करें इन मंत्रों का जाप और आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Skanda Sashti 2024: हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कन्द षष्ठी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही देवों के सेनापति भगवान कार्तिकेय के निमित्त उपवास रखा जाता है। भारत के दक्षिण भागों में भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा होती है। शास्त्रों में वर्णित है कि भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से शत्रु का नाश होता है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। अतः साधक भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा करते हैं। अगर आप भी भगवान कार्तिकेय की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो स्कंद षष्ठी पर विधि-विधान से मुरुगन की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जाप करें। वहीं, पूजा के अंत में भगवान कार्तिकेय की ये आरती अवश्य पढ़ें।

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    शत्रु नाशक मंत्र

    ऊं शारवाना-भावाया नमः

    ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा

    देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते

    ऊं सुब्रहमणयाया नमः

    सफलता हेतु मंत्र

    आरमुखा ओम मुरूगा

    वेल वेल मुरूगा मुरूगा

    वा वा मुरूगा मुरूगा

    वादी वेल अज़्गा मुरूगा

    अदियार एलाया मुरूगा

    अज़्गा मुरूगा वरूवाई

    वादी वेलुधने वरूवाई

    कार्तिकेय गायत्री मंत्र

    ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:

    कार्तिकेय स्तोत्र

    योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।

    स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥

    गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।

    तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥

    शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।

    सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥

    शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।

    सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥

    अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।

    प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥

    महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।

    महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥

    कार्तिकेय जी की आरती

    जय जय आरती वेणु गोपाला

    वेणु गोपाला वेणु लोला

    पाप विदुरा नवनीत चोरा

    जय जय आरती वेंकटरमणा

    वेंकटरमणा संकटहरणा

    सीता राम राधे श्याम

    जय जय आरती गौरी मनोहर

    गौरी मनोहर भवानी शंकर

    सदाशिव उमा महेश्वर

    जय जय आरती राज राजेश्वरि

    राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि

    महा सरस्वती महा लक्ष्मी

    महा काली महा लक्ष्मी

    जय जय आरती आन्जनेय

    आन्जनेय हनुमन्ता

    जय जय आरति दत्तात्रेय

    दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार

    जय जय आरती सिद्धि विनायक

    सिद्धि विनायक श्री गणेश

    जय जय आरती सुब्रह्मण्य

    सुब्रह्मण्य कार्तिकेय

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'