Pitru Paksha Shradh 2019: आज से 16 दिनों के लिए पितृ पक्ष शुरू, जानें श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण और उनसे जुड़े नियम
Pitru Paksha Shradh 2019 Shradh niyam पितृ पक्ष श्राद्ध इस वर्ष 13 सितंबर दिन शुक्रवार से प्रारंभ हो रहा है। आइए जानते हैं श्राद्ध से जुड़ी महत्वपूण बातें।
Pitru Paksha Shradh 2019: पितृ पक्ष श्राद्ध इस वर्ष आज से प्रारंभ हो रहा है, जो 28 सितंबर तक चलेगा। शुक्रवार को भाद्रपद मास की पूर्णिमा है, उसके पश्चात आश्विन मास का कृष्ण पक्ष प्रारंभ होगा। आश्विन मास की आमावस्या को पितृ पक्ष श्राद्ध का अंतिम दिन होगा। इन 16 दिनों में पुत्र, भाई, पौत्र, प्रपौत्र समेत महिलाएं अपने पितरों को तृप्त करने के लिए पिंडदान करेंगे। पितृ ऋण से मुक्ति के लिए पितृ पक्ष में विधि विधान से श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है।
पिंडदान क्या है
मृत व्यक्ति की तिथि पर तिल, चावल, जौ आदि के भोजन को पिंड (गोला) स्वरूप में अपने पितरों को अर्पित करने की क्रिया ही पिंडदान कहलाती है। जिनकी तिथि ज्ञात न हो, उनका पिंडदान अमावस्या के दिन किया जाता है।
तर्पण क्या है
अपने पितरों को तृप्त करने की क्रिया तथा देवताओं, ऋषियों या पितरों को काले तिल, अक्षत् मिश्रित जल अर्पित करने की प्रक्रिया को तर्पण कहा जाता है।
श्राद्ध क्या है
पितरों को तृप्त करने के लिए श्रद्धा पूर्वक जो प्रिय भोजन उनको दिया जाता है, वह श्राद्ध कहलाता है। इसमें तिल, चावल, जौ आदि को अधिक महत्त्व दिया जाता है। श्राद्ध में तिल और कुशा का सर्वाधिक महत्त्व होता है। श्राद्ध में पितरों को अर्पित किए जाने वाले भोज्य पदार्थ को पिंडी रूप में अर्पित करना चाहिए। तर्पण और पिंडदान श्राद्ध कर्म के दो भाग हैं।
श्राद्ध का महत्व
कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका श्राद्ध करना बेहद जरूरी होता है। ऐसी मान्यता है कि विधिपूर्वक श्राद्ध और तर्पण नहीं करने से, उस व्यक्ति की आत्मा को पृथ्वी लोक से मुक्ति नहीं मिलती है। वह आत्मा के रूप में संसार में ही रह जाता है।
Pitru Paksha Shradh 2019: जानें श्राद्ध की महत्वपूर्ण तिथियां
किस तारीख को करें श्राद्ध
श्राद्ध का मतलब दिवंगत परिजनों को उनकी मृत्यु की तिथि पर श्रद्धापूर्वक याद किया जाना होता है। अगर किसी का निधन प्रतिपदा के दिन हुई है तो उसका श्राद्ध कर्म प्रतिपदा को ही होता है। अर्थात् हिन्दू कैलेंडर की तिथियों के अनुसार ही मृत व्यक्ति की तिथि पर श्राद्ध कर्म किए जाते हैं।
तिथि से जुड़े नियम
1. पिता का श्राद्ध अष्टमी के दिन और माता का नवमी के दिन किया जाता है।
2. जिन परिजनों की अकाल मृत्यु हुई है (किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण), उनका श्राद्ध चतुर्दशी को करते हैं।
3. जिन पितृों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है, उनका श्राद्ध अमावस्या को करत हैं। इस तिथि को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता है।
4. साधु-संन्यासियों का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन होता है।