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    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष के पहले दिन किस समय करें पितरों का तर्पण? जानें जल चढ़ाने के नियम

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 03:45 PM (IST)

    पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) 7 सितंबर से शुरू हो रहा है जो 15 दिनों तक चलेगा। इस दौरान पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की जाती है और विभिन्न तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। ऐसे में आइए इस आर्टिकल में पितरों के तर्पण समेत महत्वपूर्ण जानकारी के बारे में जानते हैं जो इस प्रकार हैं।

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    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष से जुड़ी प्रमुख बातें।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो रही है। यह 15 दिनों की अवधि है, जो पितरों को समर्पित है। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस अवधि (Pitru Paksha 2025) में पितरों को जल अर्पित करने जैसे प्रमुख्य अनुष्ठान किए जाते हैं, ताकि पितरों का आशीर्वाद मिल सके, तो आइए पितरों को जल चढ़ाने की पूर्ण जानकारी यहां जानते हैं।

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    पितरों को जल चढ़ाने का नियम

    • तर्पण के लिए दोपहर का समय सबसे उत्तम माना जाता है।
    • तर्पण करते समय दक्षिण दिशा की ओर मुख करें। दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा माना जाता है।
    • तर्पण करते समय जनेऊ को दाएं कंधे पर रखें। अगर आप जनेऊ नहीं पहनते हैं, तो शरीर के ऊपरी हिस्से को कपड़े से ढक लें।
    • तर्पण के लिए एक तांबे का पात्र लें। इसमें जल, दूध, काले तिल और जौ मिलाएं।
    • अपने हाथों से अंजलि बनाकर तीन बार जल अर्पित करें। हर बार मंत्र का जाप करें।
    • इस दौरान पवित्रता का पूरा ख्याल रखें।
    • किसी जानकारी पुरोहित से अच्छी तरह पितृ पक्ष के सभी अनुष्ठान की जानकारी लेकर ही उसे पूर्ण करें।

    पूजा मंत्र

    • ॐ पितृभ्यः नमः
    • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।

    तर्पण का समय

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष में तर्पण करने के लिए सबस उत्तम समय कुतुप काल होता है।

    • कुतुप मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 44 मिनट तक
    • रौहिण मुहूर्त - दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से 01 बजकर 34 मिनट तक
    • अपराह्न काल - दोपहर 01 बजकर 34 मिनट से 04 बजकर 04 मिनट तक।

    इन बातों का भी रखें ध्यान

    • पितृ पक्ष के दौरान किसी भी शुभ काम को करने से बचें, जैसे विवाह या गृह प्रवेश आदि।
    • घर में लहसुन और प्याज का उपयोग न करें।
    • पितरों को सात्विक भोजन ही अर्पित करें।
    • तर्पण करने के बाद कौवे, गाय और कुत्ते को भोजन जरूर कराएं। इन्हें पितरों का प्रतीक माना जाता है।
    • अगर हो पाए, तो किसी पवित्र नदी के पास तर्पण करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।