Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Pitru Paksha 2025: पितरों का तर्पण करते समय करें इन मंत्रों का जप, पितृ दोष से मिलेगा छुटकारा

    इस साल 21 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या है। इस दिन पितरों का अंतिम तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इस दिन ही पितृ (Pitru Paksha 2025) पुन अपने लोक लौट जाते हैं। इसके अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होगी। इस दौरान देवी मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है।

    By Pravin Kumar Edited By: Pravin Kumar Updated: Wed, 27 Aug 2025 09:00 PM (IST)
    Hero Image
    Pitru Paksha 2025: पितृ पक्ष में क्या करें और क्या न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल आश्विन माह में पितृ पक्ष मनाया जाता है। इसकी शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा से होती है। हालांकि, पितृ पक्ष का पहला तर्पण आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर किया जाता है। वहीं, पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गरुड़ पुराण में वर्णित है कि पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस शुभ अवसर पर जरूरतमंदों को अन्न और धन का दान भी किया जाता है।

    अगर आप भी अपने पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो पितृ पक्ष के दौरान रोजना तर्पण और पिंडदान करें। वहीं, तर्पण के समय इन मंत्रों का जप करें। साथ ही पितृ निवारण स्तोत्र का पाठ करें।

    पितृ मंत्र

    1. ॐ पितृ देवतायै नम:

    2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।

    3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:

    4. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।

    नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।

    5. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।

    शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।

    6. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

    7. गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।

    8. गोत्रे मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम

    गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः"

    9. ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नः शिवः प्रचोदयात्॥

    10. त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

    पितृ निवारण स्तोत्र

    अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।

    नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

    इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।

    सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् ।।

    मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।

    तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

    नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।

    द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि:।।

    देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।

    अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

    प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।

    योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

    नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।

    स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

    सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।

    नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

    अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।

    अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

    ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय:।

    जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।

    तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस:।

    नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

    पितृ कवच

    कृणुष्व पाजः प्रसितिम् न पृथ्वीम् याही राजेव अमवान् इभेन।

    तृष्वीम् अनु प्रसितिम् द्रूणानो अस्ता असि विध्य रक्षसः तपिष्ठैः॥

    तव भ्रमासऽ आशुया पतन्त्यनु स्पृश धृषता शोशुचानः।

    तपूंष्यग्ने जुह्वा पतंगान् सन्दितो विसृज विष्व-गुल्काः॥

    प्रति स्पशो विसृज तूर्णितमो भवा पायु-र्विशोऽ अस्या अदब्धः।

    यो ना दूरेऽ अघशंसो योऽ अन्त्यग्ने माकिष्टे व्यथिरा दधर्षीत्॥

    उदग्ने तिष्ठ प्रत्या-तनुष्व न्यमित्रान् ऽओषतात् तिग्महेते।

    यो नोऽ अरातिम् समिधान चक्रे नीचा तं धक्ष्यत सं न शुष्कम्॥

    ऊर्ध्वो भव प्रति विध्याधि अस्मत् आविः कृणुष्व दैव्यान्यग्ने।

    अव स्थिरा तनुहि यातु-जूनाम् जामिम् अजामिम् प्रमृणीहि शत्रून्।

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha 2025: पितरों की नाराजगी दूर करने के लिए कहां-कहां जलाएं दीपक?

    यह भी पढ़ें- Pitru Paksha के पहले दिन शिववास योग समेत बन रहे हैं कई अद्भुत संयोग, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।